कभी कमाते थे 20 से 25 हजार, अब दीपोत्सव में ही बन जाते हैं लखपति
आठवें दीपोत्सव में 25 लाख दीयों के प्रज्ज्वलन का है लक्ष्य
जयसिंहपुर गांव के 40 कुम्हार परिवार बना रहे दीपोत्सव के लिए दीए
अयोध्या के दीपोत्सव ने वहां के कुम्हारों का जीवन पूरी तरह से बदल दिया है। एक समय ऐसा था जब ये कुम्हार अपने परिवार की जीविका चलाने में कठिनाइयों का सामना कर रहे थे। लेकिन दीपोत्सव की शुरुआत के बाद से उनके जीवन में नई रोशनी आई है। हर साल दीपोत्सव के दौरान ये कुम्हार लाखों की कमाई करने लगे हैं। पहले जहां ये कुम्हार 20 से 25 हजार रुपये सालाना कमा पाते थे, वहीं अब दीपोत्सव में ही एक लाख रुपये तक की कमाई हो जाती है।
योगी सरकार की पहल से बदला जीवन
2017 में योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद, उन्होंने सबसे पहले अयोध्या को सुसज्जित करने का काम शुरू किया। भगवान राम के वनवास से लौटने की खुशी में मनाए जाने वाले दीपोत्सव को भव्य रूप देने की योजना बनाई गई। इसके तहत हर साल राम की पैड़ी पर लाखों दीयों का प्रज्ज्वलन होता है। दीयों की खरीद के लिए योगी सरकार ने अयोध्या के स्थानीय कुम्हारों को प्राथमिकता दी, जिससे उनका आर्थिक जीवन सुधरने लगा। इस साल दीपोत्सव का आठवां संस्करण होगा, जिसमें 25 लाख दीयों के जलाने का लक्ष्य रखा गया है।
जयसिंहपुर के कुम्हार परिवारों की मेहनत
अयोध्या के विद्याकुंड के निकट स्थित जयसिंहपुर गांव के करीब 40 कुम्हार परिवार दीपोत्सव के लिए दीए बना रहे हैं। इन परिवारों का कहना है कि दीपोत्सव ने उनकी आजीविका में क्रांतिकारी बदलाव लाया है। लक्ष्मी प्रजापति, जो इस गांव की निवासी हैं, बताती हैं कि पहले उनके परिवार की कमाई बहुत कम थी, लेकिन अब दीपोत्सव में 30 से 35 हजार दीए बेचकर वे अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। उनका मानना है कि योगी सरकार की पहल ने उनके घरों को रोशन कर दिया है।
राकेश प्रजापति: “दीपोत्सव से बढ़ी आमदनी”
जयसिंहपुर गांव के राकेश प्रजापति बताते हैं कि दीपोत्सव के बाद से उनकी आमदनी में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। हालांकि उन्हें इस बार ठेका नहीं मिला है, लेकिन उन्होंने पहले मिले ऑर्डर को देखते हुए दीए बनाना शुरू कर दिया है। उनके अनुसार, मुख्यमंत्री के ऐलान के बाद से उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार आया है, और वे अपने काम को लेकर पहले से अधिक उत्साहित हैं।
चाइनीज झालरों का विकल्प बने मिट्टी के दीए
जयसिंहपुर की आशा प्रजापति कहती हैं कि पहले लोग चाइनीज झालरों से अपने घर सजाते थे, लेकिन दीपोत्सव शुरू होने के बाद से अब लोग मिट्टी के दीयों को प्राथमिकता देने लगे हैं। वे हर साल 20 से 25 हजार दीए बनाकर दीपोत्सव के लिए देती हैं। आशा का कहना है कि स्थानीय लोगों में भी अब मिट्टी के दीयों की मांग बढ़ी है, जिससे उनकी बिक्री में वृद्धि हो रही है।
योगी आदित्यनाथ ने दिलाई प्रजापतियों को पहचान
गांव के राजेश प्रजापति का कहना है कि दीपोत्सव ने कुम्हार समुदाय को पहचान दिलाई है। पहले इन्हें कोई जानता नहीं था, लेकिन अब दीपोत्सव की वजह से उनकी पहचान और काम की सराहना हो रही है। उन्होंने बताया कि अभी तक 2 लाख से अधिक दीए बनाए जा चुके हैं, और उन्हें उम्मीद है कि इस बार का दीपोत्सव उनके लिए और भी ज्यादा लाभकारी साबित होगा।
आठवें दीपोत्सव की तैयारियां जोरों पर
अयोध्या में आठवें दीपोत्सव की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं, और प्रशासन इसके आयोजन को सफल बनाने में जुट गया है। इस आयोजन में अवध विश्वविद्यालय के छात्र भी सक्रिय रूप से भाग ले रहे हैं। जैसे-जैसे दिन नजदीक आते जा रहे हैं, शहर में उत्साह और उमंग का माहौल बढ़ता जा रहा है। इस बार का दीपोत्सव ऐतिहासिक होने की उम्मीद है, क्योंकि रामलला अब अपने भव्य मंदिर में विराजमान हो चुके हैं।
दीपोत्सव में अब तक प्रज्ज्वलित दीयों की संख्या
अयोध्या के दीपोत्सव में हर साल दीयों की संख्या बढ़ती जा रही है। 2017 में 1.71 लाख दीयों के साथ शुरू हुआ यह आयोजन अब तक कई कीर्तिमान बना चुका है। पिछले साल, 2023 में, 22.23 लाख दीए प्रज्ज्वलित किए गए थे। इस बार मुख्यमंत्री ने 25 लाख दीए जलाने का लक्ष्य रखा है, जिससे यह आयोजन और भी भव्य बनने वाला है।
दीपोत्सव में जलाए गए दीये (वर्षवार)
वर्ष | जलाए गए दीये |
---|---|
2017 | 1.71 लाख |
2018 | 3.01 लाख |
2019 | 4.04 लाख |
2020 | 6.06 लाख |
2021 | 9.41 लाख |
2022 | 15.76 लाख |
2023 | 22.23 लाख |
दीपोत्सव न केवल अयोध्या के धार्मिक और सांस्कृतिक जीवन का हिस्सा बन गया है, बल्कि इसने कुम्हारों की आर्थिक स्थिति में भी बड़ा बदलाव लाया है।