सड़कों पर दौड़ती इस मौत का आखिर जिम्मेदार कौन?

बिना नंबर प्लेट के दौड़ रहे ओवर लोडेड ट्रैक्टर-ट्राली

कल रोहनिया व जंसा में तीन लोगों की गई जान, यमराज बनकर दौड़ रहे है ट्रैक्टर

वाराणसी -( काशीवार्ता)- सडक़ों पर बिना नंबर प्लेट और बिना कोई सेफ्टी के दौड़ते हुए ये ट्रैक्टर और बड़े आकार की ट्राली लोगों के लिए मुसीबत बने हुए हैं जिनमें ज्यादातर ऐसे ट्रैक्टर-ट्राली हैं जिनमें ईंट , गिट्टी , बालू ,पराली या यूं कहें कि धान के अवशेष लदे होते हैं। इन भारी भरकम रास्ता जाम करने वाले वाहनों को लेकर प्रशासन की पकड़ इतनी ढ़ीली है कि ये बे-रोक-टोक चल रहे हैं जबकि इनकी वजह से न जाने कितने हादसे प्रतिदिन हो रहे हैं इस बारे कहा भी नही जा सकता। आधे से ज्यादा सडक़ को घेर कर चलने वाले ये वाहन किसानों के निजी वाहन न होकर कुछ गिने चुने व्यापारिक लोगों के वाहन हैं जबकि इन वाणिज्यिक वाहनों को चलाने वाले ड्राईवर खुद को किसान बताकर न केवल जनता का ध्यान भटकाने का काम करते हैं बल्कि प्रशासन की आंखों में धूल झोंकने का काम भी करते हैं। इन ट्रैक्टर-ट्रालियों में ज्यादातर के अगले व पिछले हिस्से में नंबर प्लेट तक मौजूद नही रहती जबकि किसी भी दुर्घटना घटने की स्थिति में इस प्रकार के किस वाहन द्वारा दुर्घटना की गई है इस बात की जानकारी मिलना भी मुश्किल ही होगा। इन वाहनों की वजह से अक्सर शहर में जाम लग जाता है।

क्या कहते है समाजसेवी आशीष पटेल


युवा समाजसेवी आशीष पटेल से बात की गई तो उन्होंने कहा कि सीजन चलने तक ही किसान व्यवस्था पूरी कर लेता है। प्राईवेट काम के जरिये किसानों का नाम बदनाम करने की कोशिश करता है। संभल जाएं। इस समय धान के अवशेषों की गांठ ले जाने का काम किसानों द्वारा अभी नही किया जा रहा बल्कि कुछ व्यापारी ही इस काम को कर रहे हैं जो इन गांठों से लदे ट्रैक्टर ट्रालियों को फैक्ट्रियों में ले जाकर बेच रहे हैं। उन्होंने कहा कि वे पहले भी स्पष्ट कर चुके हैं कि जब सीजन खत्म तो किसान का मुद्दा भी खत्म हो जाता है। ऐसे लोग जो अपने लाभ के लिए जनता को परेशान करें और किसानों का नाम खराब करें उन पर प्रशासन बिना किसी संकोच कार्रवाई करे जिस पर कोई भी किसान संगठन ऐसे लोगों के साथ कतई खड़ा नही होगा। यदि कोई किसान अपने पशुओं के लिए तूड़ी आदि ले जाता है तो माना जा सकता है कि वो किसान पशुओं के लिए व्यवस्था कर रहा है लेकिन ये गांठे जो पशुओं के चारे के लिए बनती ही नही इनकी ढुलाई करने वाले किसान नही बल्कि व्यापारी हैं।


बिना नंबर प्लेट और सुरक्षा के ही दौड़ते हैं सडक़ों पर ये वाहन-

इन वाहनों की खास बात ये है कि ये बिना किसी सुरक्षा व्यवस्था, बिना रिफलेक्टरर्स, बिना कोई लाल रंग की सचेत करने वाली झंडी लगाए सडक़ों पर दौड़ते हैं जबकि दूसरी तरफ इन वाहनों के आगे पीछे कहीं नंबर प्लेट भी लगी दिखाई नही देती।

लाइसेंस नहीं है फिर भी चला रहे ट्रैक्टर

अदालत ने अपने फैसले में कहा है कि ट्रैक्टर ट्राली की बनावट इस प्रकार होती है कि उसे खेत में ही चलाया जा सकता है. ट्रैक्टर आगे से बहुत छोटा और उसके पीछे लगी ट्राली ट्रैक्टर से चार गुना बड़ी होती है। उसमें न तो लाइट लगी होती है और न ही इंडिकेटर होता है। रात में पीछे से दिखाई न देने के कारण अक्सर इससे दुर्घटनाएं होती हैं और जानें जाती हैं. अधिकतर ऐसे लोग भी ट्रैक्टर ट्राली चलाते हैं, जिनके पास ड्राइविंग लाइसेंस भी नहीं होता।

क्या कहते है एआरटीओ प्रवर्तन-


इस मामले में एआरटीओ प्रवर्तन श्यामलाल से बात की गई तो उन्होंने कहा कि यह मामला उनके संज्ञान में है। इस मामले को लेकर आये दिन अभियान भी चलाये जा रहे है। बैठक कर उनके माध्यम से साथ ही चालको को चेतावनी दी जा रही है। अगर सुधार नही हुआ तो चालान प्रकिया अपनाई जा रही है। साथ ही कानूनी कार्यवाही की जायेगी। साथ ही नही माने तो खुद जिमेदार होंगे।


क्या कहते है डीसीपी यातयात-


इस सबंध में डीसीपी यातायात हृदेश कुमार से बात कि गई तो उन्होंने कहा कि इस मामले को लेकर लोग परेशान है। इसमें कोई दो राय नही है।साथ ही लगातार अभियान भी चलाये जा रहे है। इस मामले को लेकर आरटीओ एवं यातयात के अधिकारियों को भी निर्देशित किया गया है। कारवाई भी की जा रही है।

   
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