कुलपति प्रो.बिहारी लाल शर्मा को मिला श्रीशारदा शताब्दी सम्मान

वाराणसी। संस्कृत भाषा और साहित्य के क्षेत्र में विशिष्ट सेवाओं और योगदान के लिए सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.बिहारी लाल शर्मा को श्रीशारदा शताब्दी सम्मान एक भव्य समारोह के दौरान प्रदान किया गया। सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति एन.कोटिश्वर व पद्मभूषण प्रो.वशिष्ठ त्रिपाठी ने उन्हें उक्त सम्मान से अलंकृत किया। कुलपति को यह सम्मान संस्कृत के प्रचार-प्रसार और शिक्षा के क्षेत्र में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए प्रदान किया गया। उन्होंने सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय में अपने नेतृत्व के दौरान न केवल शैक्षणिक स्तर पर सुधार किए, बल्कि संस्कृत के अध्ययन-अध्यापन के क्षेत्र में भी कई महत्वपूर्ण पहल की है। जिससे विश्वविद्यालय को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त हुई।

संस्कृत के प्रचार-प्रसार में अभूतपूर्व योगदान-एन.कोटिश्वर

मुख्य अतिथि न्यायमूर्ति एन.कोटिश्वर ने कहा कि संस्कृत भारतीय सभ्यता की आत्मा है, और प्रो.बिहारी लाल शर्मा ने इस महान भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए जो कार्य किए हैं, वे सराहनीय हैं। उनका योगदान आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणास्रोत रहेगा।

शोध कार्य और शैक्षणिक सुधार की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा-प्रो.वशिष्ठ त्रिपाठी

पद्मभूषण प्रो.वशिष्ठ त्रिपाठी ने कहा कि संस्कृत की समृद्ध परंपरा को जीवंत रखने में प्रो.बिहारी लाल शर्मा का योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण है। उनके द्वारा किए गए शोध कार्य और शैक्षणिक सुधार इस दिशा में मील का पत्थर साबित होंगे।

सम्मान संस्कृत के प्रति हमारी सामूहिक प्रतिबद्धता का प्रतीक-कुलपति

प्रो.बिहारी लाल शर्मा ने अपनी उपलब्धि का श्रेय अपने गुरुजनों, सहकर्मियों और सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय की पूरी टीम को दिया। उन्होंने कहा कि यह सम्मान मेरे लिए नहीं, बल्कि संस्कृत के प्रति हमारी सामूहिक प्रतिबद्धता का प्रतीक है। यह मुझे और अधिक प्रेरित करेगा कि मैं संस्कृत के विकास और इसे जन-जन तक पहुंचाने के लिए सतत् प्रयासरत रहूं। उक्त समारोह में विद्वानों, शिक्षाविदों और संस्कृत प्रेमियों ने प्रतिभाग किया और कार्यक्रम के दौरान संस्कृत साहित्य और संस्कृति के संरक्षण की आवश्यकता पर जोर दिया। उक्त जानकारी जनसम्पर्क अधिकारी शिशेन्द्र मिश्र ने दी।

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