
सबसे बड़ा घपला तो केसर के नाम पर हो रहा
चांदी के नाम पर अन्य धातुओं की वरक का प्रयोग
(युगल किशोर जालान)
वाराणसी (काशीवार्ता)। मिठाई को टिकाऊ और देखने में सुन्दर बनाये रखने के लिए मांस में उपयोग होने वाले केमिकल और दूध में महंगाई के सीजन में केमिकल और स्किम्ड मिल्क पावडर का इस्तेमाल नब्बे के दशक के मध्य में ही शुरु हो गया था।ऐसा नहीं है कि सभी मिष्ठान्न विक्रेता ऐसा करते है। आज के प्रतिस्पर्धा के दौर में भी कई पीढ़ियों से मिठाई के कारोबार कर रहे लोग केमिकलों के इस्तेमाल से परहेज करते है। मिलावट की बात करें तो मिठाई को लम्बी अवधि तक ताजा बनाए रखने के लिए कुछ मिष्ठान्न विक्रेता सोडियम नाइट्राइट और सोडियम नाइट्रेट जैसे अखाद्य केमिकल के साथ बैक्टीरिया और फंगस को बढ़ने से रोकने के लिए प्राकृतिक केमिकल बोरेक्स का इस्तेमाल करते है।
सामान्य सी बात है कि आमतौर पर खरीदकर लाई या किसी प्रियजन के यहां से आई मिठाई का स्वाद तीन-चार दिनों में बिगड़ जाता है और उसमें अजीब सी महक आने लगती है। इसके विपरीत दीपावली की मिठाई लोग 10-12 दिनों तक आराम से इस्तेमाल करते है। मिष्ठान्न विक्रेता भी दीपावली का आर्डर पूरा करने के लिए 10-12 दिन पहले से बनाकर स्टाक करना शुरू कर देता है। यानी दीपावली और भाई दूज पर्व सीजन में दुग्ध उत्पादों की मिठाई आराम से 20-25 दिन पहले की बनी हुई भी आराम से उपयोग की जाती है। ऐसा कैसे संभव होता है की मेरी शंका का समाधान एक आयुर्वेद चिकित्सक व आयुर्वेद दवा निर्माता ने कुछ किया। इस प्रतिष्ठित चिकित्सक ने बताया था, चीनी एक प्राकृतिक सरंक्षक है जो मिठाई को कुछ दिनों तक सूखा और सुरक्षित रखती है, लेकिन छेना और खोवा से बनी मिठाई को अधिक दिन सही नहीं रख पाती। इसलिए दीपावली के सीजन में कुछ आसामाजिक मिष्ठान्न विक्रेता केमिकल का इस्तेमाल करते है।
आयुर्वेद दवा निर्माता एवं वरिष्ठ चिकित्सक से प्राप्त जानकारी के अनुसार दुग्ध उत्पादों से बनी मिठाई को अधिक दिनों तक संरक्षित रखने, बैक्टीरिया को बढने से रोकने, स्वाद और रंग बनाए रखने के लिए सोडियम नाइट्राइड, सोडियम नाइट्रेट और बोरेक्स केमिकल का उपयोग कुछ मिष्ठान्न निर्माता द्वारा किया जाता है। ये सामान्य केमिकल है और अक्सर मांस को लम्बे समय तक संरक्षित रखने के लिए इसका प्रयोग किया जाता है।बिना केमिकल वाली मिठाई को फ्रीज में रखकर लम्बे समय तक संरक्षित रखा जा सकता है लेकिन कुछ ही प्रतिष्ठित मिष्ठान्न विक्रेताओ ने दीपावली के लिए बनने वाली मिठाई के लिए वातानुकूलित गोदाम बना रखा है। यही वजह है, हाल के वर्षों में दीपावली गिफ्ट में खोवा-छेना की जगह बूंदी लड्डू, मगदल, चंद्रकला, गुजिया जैसी मिठाईयों का प्रचलन बढा है। वहीं, कुछ मिष्ठान विक्रेताओं ने अपने उत्पादों को अधिक दिनों तक खाने योग्य बनाए रखने के लिए एयर टाइट पैकिंग भी शुरू कर दी है। चांदी के नाम पर अन्य धातुओं से बनी वरक का इस्तेमाल कुछ दुकानदार मिठाईयों में करते हैं।वैसे, सबसे बड़ा घपला केसर के नाम पर हो रहा है। केसर की मिठाई के लिए कई दशक से ख्यातिप्राप्त श्री राजबंधु से प्रतिस्पर्धा में अनेक दुकानदारों ने केसरिया मिठाई बनाना और बेचना शुरु किया।
एक प्रतिष्ठित खानदानी मिठाई विक्रेता ने बताया, खोवा में चाहे जितना असली केसर मिला दें, मिठाई का रंग डार्क केसरिया नहीं होगा। केसरिया पेड़ा और केसरिया कलाकंद के नाम पर रेट सौ-सवा सौ रुपए प्रति किलो बढ़ जाता है जबकि मिठाई में टेट्रा कलर और केसर का एसेंस मिलाया जाता है। बता दें कि नकली केसर भी आती है जिसे मिठाई के ऊपर चिपका देते हैं। टेट्रा कलर के इस्तेमाल से इफेक्ट केसर जैसा ही आता है। इसका इस्तेमाल मिठाईयों में केसर की ही तरह किया जा रहा, लेकिन यह स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित नहीं माना जाता। टेट्रा का मुख्य इस्तेमाल पेन्ट में होता है।
अब बात आर्टिफिशियल पनीर की करें तो इसका इस्तेमाल जब ताजा दूध की किल्लत या बाजार में शुद्ध पनीर बहुत महंगा हो जाता है तब, छेने की मिठाई अधिक बेचने वाले अपने यहां छेना बनाना शुरु करते है। मुख्य रूप से आइसक्रीम, बेकरी, कन्फेक्शनरी इकाइयों में इस्तेमाल होने वाले स्किम्ड मिल्क पावडर से छेना बनाना नब्बे के दशक के मध्य में एक मिष्ठान्न विक्रेता ने शुरू किया था। स्किम्ड मिल्क पावडर (एसएमपी) को दूध की तरह लिक्विड बनाकर फिटकरी डालकर फाड़ा जाता है। इससे निकले छेने से मिठाई बनाई जाती है। यह तभी होता है जब तेज गर्मी, वैवाहिक सीजन या पर्वों के सीजन में बाजार में दूध की उपलब्धता घटती है और पनीर काफी महंगा हो जाता है। पनीर और छेना में अंतर दूध को फाड़ने के बाद पानी छानकर अलग किया जाता है। सारा पानी छन जाने के बाद दानेदार जो बचता है उसे छेना कहा जाता है और आमतौर पर मिठाई में इसी का उपयोग होता है। छानने के बाद कपडे में बांधकर पत्थर से दबाकर कुछ देर छोड़ देने से वह जम जाता है। इसे टुकड़ों में काटकर पनीर के नाम से बेचा जाता है।आमतौर पर इसका इस्तेमाल सब्जी सहित विभिन्न खाद्य सामग्रियों और फास्ट फूड में इस्तेमाल किया जाता है।