वाराणसी (काशीवार्ता): गाँवों और हाईवे पर बेलगाम दौड़ते ओवरलोड ट्रैक्टर-ट्रॉली और हाईवा आए दिन मौत का सबब बनते जा रहे हैं। दिन हो या रात, ये वाहन खनन माफिया की गतिविधियों का हिस्सा बनकर बिना सुरक्षा मानकों के धड़ल्ले से दौड़ रहे हैं। इन पर न तो रिफ्लेक्टर और रेडियम जैसे सुरक्षा उपकरण लगे हैं, न ही इन्हें चलाने वालों के पास लाइसेंस है। स्थिति इतनी गंभीर है कि किशोरों को भी इन वाहनों की कमान सौंप दी गई है, जिससे सड़क हादसों की संख्या में भारी इजाफा हो रहा है।
खनन माफिया की बेलगाम गतिविधियां
चौबेपुर, जंसा, मिर्जामुराद, कपसेठी, राजातालाब और रोहनिया जैसे इलाकों में खनन माफिया पूरी रात जेसीबी, ट्रैक्टर-ट्रॉली और हाईवा का इस्तेमाल कर अवैध खनन में जुटे रहते हैं। इन वाहनों के ओवरलोड होने के कारण गाँवों की लिंक रोड पर बड़े-बड़े गड्ढे बन गए हैं, जिससे स्थानीय लोग परेशान हैं। वहीं, ट्रॉलियों और गाड़ियों की नंबर प्लेटें मिटा दी जाती हैं ताकि उनकी पहचान न हो सके।
सुरक्षा की अनदेखी
रात में बैक लाइट और अन्य जरूरी उपकरणों के अभाव में ट्रैक्टर-ट्रॉली हादसों को आमंत्रण देते हैं। सर्दियों में कोहरे और धुंध के चलते हादसों की आशंका और भी बढ़ जाती है। खनन माफिया और उनके चालक अक्सर नशे में धुत होकर वाहन चलाते हैं, जिससे सामने पड़ने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए ये काल बन जाते हैं।
पुलिस और प्रशासन की मिलीभगत
खनन माफिया की इन गतिविधियों पर स्थानीय पुलिस और यातायात विभाग की उदासीनता सवाल खड़े करती है। शिकायत करने वाले ग्रामीणों को धमकाकर शांत कर दिया जाता है। यदि कोई ग्रामीण विरोध करने की कोशिश करता है, तो पुलिस की मिलीभगत से खनन माफिया उसे “आदेशानुसार खनन” की बात कहकर भ्रमित कर देते हैं।
बढ़ती दुर्घटनाओं का खतरा
इन अवैध गतिविधियों और प्रशासन की लापरवाही के चलते सड़क दुर्घटनाओं का खतरा लगातार बढ़ रहा है। लोगों की जान जोखिम में डालने वाले इन खनन माफियाओं पर कार्रवाई न होना न केवल कानून-व्यवस्था पर सवाल खड़ा करता है, बल्कि आम जनता की सुरक्षा के प्रति जिम्मेदार अधिकारियों की उदासीनता को भी उजागर करता है।