
वॉशिंगटन/तेल अवीव:
ईरान पर अमेरिकी हवाई हमलों के दौरान अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पूरी सैन्य कार्रवाई की निगरानी व्हाइट हाउस स्थित ‘सिचुएशन रूम’ यानी वॉर रूम से की। इस दौरान ट्रंप के साथ उनके वरिष्ठ सुरक्षा सलाहकार, पेंटागन के अधिकारी, खुफिया एजेंसियों के प्रतिनिधि और सेना के शीर्ष कमांडर मौजूद थे।
सूत्रों के मुताबिक, ट्रंप ने पूरे ऑपरेशन के हर पल की जानकारी ली और रणनीतिक फैसलों में सक्रिय भूमिका निभाई। इस हमले का मुख्य उद्देश्य ईरान के परमाणु कार्यक्रम को नुकसान पहुंचाना था। रिपोर्ट्स के अनुसार अमेरिका ने ईरान के तीन प्रमुख परमाणु ठिकानों – फोर्डो (Fordow), नतांज़ (Natanz) और इस्फहान (Esfahan) को सटीक मिसाइल हमलों से निशाना बनाया।
इज़रायली मीडिया में सामने आई जानकारी और तस्वीरों में यह स्पष्ट होता है कि ट्रंप और उनके सहयोगी पूरे अभियान के दौरान अत्यंत गंभीर और सतर्क मुद्रा में थे। सुरक्षा एजेंसियों द्वारा हर सेकंड की रिपोर्टिंग वॉर रूम में भेजी जा रही थी, जिससे रणनीति के अनुसार कदम उठाए जा सकें।
इस पूरे अभियान की रूपरेखा अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए और इज़रायली खुफिया एजेंसी मोसाद के समन्वय से तैयार की गई थी। बताया जा रहा है कि ईरान द्वारा हाल ही में इज़रायल के खिलाफ की गई कार्रवाई के जवाब में यह संयुक्त प्रतिघात किया गया है।
हमले के बाद वैश्विक स्तर पर हलचल तेज हो गई है। संयुक्त राष्ट्र और कई यूरोपीय देशों ने स्थिति पर चिंता जताई है और संयम बरतने की अपील की है। उधर ईरान ने भी इन हमलों की पुष्टि करते हुए चेतावनी दी है कि इसका करारा जवाब दिया जाएगा।
इस घटनाक्रम से यह स्पष्ट है कि वॉशिंगटन ने फिर से अपने सैन्य प्रभुत्व और रणनीतिक क्षमताओं का प्रदर्शन किया है। ट्रंप की सीधी निगरानी में चला यह ऑपरेशन वैश्विक कूटनीति और सुरक्षा समीकरणों को नया मोड़ दे सकता है।