वाराणसी(काशीवार्ता)। रक्षाबंधन एक महत्वपूर्ण हिन्दू पर्व है जिसमें बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं और उनके लंबे, सुखी जीवन की कामना करती हैं। इस दिन का विशेष महत्व है और इसे सही मुहूर्त में मनाना शुभ माना जाता है। रक्षाबंधन के लिए राखी बांधने का शुभ मुहूर्त विशेष रूप से पंचांग के अनुसार निर्धारित किया जाता है।
रक्षाबंधन का महत्व और मुहूर्त
रक्षाबंधन का पर्व श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस दिन बहनें भाई की लंबी उम्र और सुरक्षा के लिए प्रार्थना करती हैं। शुभ मुहूर्त में राखी बांधने से भाई की जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और समृद्धि का संचार होता है।
शुभ मुहूर्त:
- पूर्णिमा तिथि: राखी बांधने के लिए सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इसे श्रावण पूर्णिमा के दिन ही बांधा जाए। यह तिथि रात्रि के समय तक होनी चाहिए, ताकि दिन के समय राखी बांधने का अवसर मिल सके।
- भद्राकाल का परिहार: भद्राकाल को अशुभ माना जाता है और इस दौरान राखी बांधने से बचना चाहिए। भद्रा के समाप्त होने के बाद ही राखी बांधना शुभ होता है। पंचांग में भद्राकाल की सटीक जानकारी दी जाती है।
- शुभ चौघड़िया: चौघड़िया मुहूर्त के अनुसार शुभ, लाभ, और अमृत चौघड़िया में राखी बांधना उत्तम होता है। यह मुहूर्त दिन के समय के अनुसार बदलता है और इसे पंचांग में देखा जा सकता है।
- अभिजीत मुहूर्त: यदि दिन में अन्य शुभ मुहूर्त उपलब्ध नहीं हैं, तो अभिजीत मुहूर्त का उपयोग किया जा सकता है। यह दोपहर के समय होता है और इसे सबसे श्रेष्ठ मुहूर्तों में से एक माना जाता है।
राखी बांधते समय सही मुहूर्त का ध्यान रखना बहुत जरूरी होता है। इसके लिए, परिवार के बड़े बुजुर्गों या पंडित जी की सलाह ली जा सकती है। सही मुहूर्त में राखी बांधकर, भाई-बहन के रिश्ते में और भी मिठास और प्रेम का संचार होता है। इससे भाई के जीवन में सुख, समृद्धि और सफलता का आगमन होता है।