राष्ट्रीय कार्यशाला में स्वास्थ्य पत्रकारिता पर जोर
वाराणसी। महामना मदन मोहन मालवीय हिन्दी पत्रकारिता संस्थान, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ एवं मैड्स कम्युनिकेशंस, नई दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में मंगलवार को एक राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। यह कार्यशाला ‘स्वास्थ्य पत्रकारिता : लिम्फैटिक फाइलेरियासिस और विसेरल लीशमैनियासिस के सन्दर्भ में’ विषय पर आधारित थी। डॉ. भगवान दास केन्द्रीय पुस्तकालय के समिति कक्ष में आयोजित इस कार्यशाला की अध्यक्षता काशी विद्यापीठ के कुलपति प्रो. आनंद कुमार त्यागी ने की।
प्रो. त्यागी ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में कहा कि फाइलेरिया जैसी बीमारी से बचाव के लिए सबसे महत्वपूर्ण है जागरूकता। उन्होंने जोर देकर कहा कि यह हमारी जिम्मेदारी है कि समाज को इस बीमारी के प्रति जागरूक करें, क्योंकि यह बीमारी ग्रसित व्यक्ति का जीवन कठिन बना देती है। उन्होंने स्वास्थ्य पत्रकारिता की महत्ता बताते हुए कहा कि पत्रकारिता के माध्यम से जानकारी लाखों-करोड़ों लोगों तक पहुंचाई जा सकती है। उन्होंने भारत की स्वास्थ्य व्यवस्था की सराहना करते हुए कहा कि यह विश्व में किसी से कम नहीं है और स्वास्थ्य पर्यटन के क्षेत्र में हमें अपनी स्थिति मजबूत करनी चाहिए।
स्वास्थ्य पत्रकारिता की भूमिका महत्वपूर्ण
महामना मदन मोहन मालवीय हिन्दी पत्रकारिता संस्थान के निदेशक डॉ. नागेंद्र कुमार सिंह ने कहा कि फाइलेरिया जैसी बीमारी से जुड़ी भ्रांतियों को दूर करना हमारी जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि पत्रकारिता के विद्यार्थियों का दायित्व है कि वे इस विषय पर शोध कर समाज को सही जानकारी दें और इस बीमारी को जड़ से समाप्त करने में योगदान दें।
मैड्स कम्युनिकेशंस की निदेशक शिवानी पांडेय ने कहा कि इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य जनसामान्य को फाइलेरिया के प्रति सजग करना है। उन्होंने बताया कि भारत सरकार एवं डब्ल्यूएचओ द्वारा वितरित दवाइयों के माध्यम से इस बीमारी को खत्म करने की कोशिश की जा रही है। शिवानी पांडेय ने पत्रकारिता के विद्यार्थियों से कहा कि वे संवेदनशील रिपोर्टिंग के माध्यम से इस मुद्दे को उजागर करें।
विशेषज्ञों की चर्चा और सुझाव
कार्यशाला में फिरोज आलम ने वैश्विक स्वास्थ्य रणनीतियों और स्वास्थ्य संचार के महत्व पर जानकारी दी। राजकुमारी दरियाना ने पत्रकारों द्वारा रोगी-केंद्रित कहानियों और रिपोर्टिंग के माध्यम से प्रभावी स्वास्थ्य संचार की भूमिका पर प्रकाश डाला। रणपाल सिंह ने कहा कि किसी भी सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यक्रम की सफलता के लिए मीडिया और छात्रों का समर्थन आवश्यक है।
डॉ. मनजीत सिंह चौधरी ने उत्तर प्रदेश में स्थानिक लिम्फैटिक फाइलेरियासिस (हाथीपांव) और विसेरल लीशमैनियासिस (कालाजार) पर विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इन बीमारियों से बचाव के लिए जनता को जागरूक करना आवश्यक है।
रिपोर्ट लेखन प्रतियोगिता और पुरस्कार वितरण
कार्यशाला के अंतर्गत आयोजित रिपोर्ट लेखन प्रतियोगिता में प्रगति पांडेय को प्रथम, वैष्णवी सेठ को द्वितीय और मुस्कान सिंह को तृतीय पुरस्कार प्रदान किया गया। संचालन शैलेश चौरसिया ने किया और धन्यवाद ज्ञापन डॉ. नागेंद्र कुमार सिंह ने दिया।
उपस्थित प्रमुख व्यक्ति
इस अवसर पर कुलानुशासक प्रो. के.के. सिंह, डॉ. वशिष्ठ नारायण सिंह, डॉ. दयानन्द, डॉ. संतोष कुमार मिश्र, डॉ. श्रीराम त्रिपाठी सहित पत्रकारिता संस्थान के अनेक शिक्षकों, विद्यार्थियों और अतिथियों ने भाग लिया।
इस कार्यशाला ने फाइलेरिया और कालाजार जैसी बीमारियों के उन्मूलन के लिए जागरूकता की आवश्यकता पर जोर दिया और स्वास्थ्य पत्रकारिता की भूमिका को रेखांकित किया।