इन चार राज्यों ने डुबोई भाजपा की नाव, उत्तरप्रदेश की जनता ने दिया सबसे बड़ा घाव

नई दिल्ली। भाजपा द्वारा पूरे लोकसभा चुनाव प्रचार कार्यक्रम में बढ़-चढ़कर 400 पार का नारा दिया गया। आम जनता इस नारे को सुनकर काफी हैरान थी कि भाजपा नेता यह क्या कह रहे हैं। 400 पार बिना वोटिंग के और जब वोट पड़े उसके बाद जब परिणाम आया तो भाजपा के साथ-साथ स्वयं वोट देने वाले भी हैरान रह गए। भाजपा समर्थित एनडीए 300 के लिए संघर्ष करता नजर आ रहा है। अभी तक जो परिणाम का रूझान सामने आया है उससे स्पष्ट है कि भाजपा समर्थित एनडीए को 300 सीटें भी नहीं मिल पाएंगी।

कहां कमी रह गईं ये तो अब मंथन का विषय है, लेकिन जिन राज्यों के बल पर भाजपा नेता हुंकार भर रहे थे, उनमें से सबसे भरोसे वाले राज्यों ने ही उसका साथ नहीं दिया। एक दो नहीं, कुल 4 बड़े राज्यों से भाजपा को कतई इस नतीजे की आहट नहीं थी।

चुनाव से पहले जनता कब किस करवट बैठेगी, इसका केवल अनुमान लगाया जा सकता है। हकीकत का सामना तो रिजल्ट के दिन ही होता है। भाजपा में अब लंबे समय तक नतीजे को लेकर मंथन का दौर चलेगा, वजह भी सामने आएंगी। लेकिन नतीजे बता रहे हैं कि भाजपा को देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश का साथ नहीं मिला। इसके अलावा राजस्थान और महाराष्ट्र ने भी भाजपा को झटका दिया है।

इन 4 राज्यों में बीजेपी को नहीं मिली कामयाबी!

भाजपा को सबसे ज्यादा बेहतरीन परिणाम की उम्मीद पश्चिम बंगाल से थी, लेकिन एक बार फिर ममता बनर्जी भाजपा पर भारी पड़ी हैं। यानी यूपी, राजस्थान, महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल में भाजपा के साथ खेला हो गया है। जबकि साल 2019 के चुनाव में इन राज्यों में भाजपा का बेहतरीन प्रदर्शन था। भाजपा को उम्मीद थी कि इस बार पिछले चुनाव से भी ज्यादा सीटें इन राज्यों से खाते में आएंगी। लेकिन झटका ऐसा लगा है कि ज्यादा की बात छोड़िए, पिछले चुनाव से भी कम सीटें भाजपा को मिलती दिख रही हैं।

इन चार राज्यों में खराब प्रदर्शन की वजह से ही भाजपा खुद बहुमत से काफी दूर रह गई है। 2019 के चुनाव में भाजपा को कुल 302 सीटें मिली थीं। लेकिन इस बार 250 भी पार करना मुश्किल है। रुझानों में भाजपा करीब 240 जीतती दिख रही है, यानी 2019 के मुकाबले भाजपा की करीब 60 सीटें कम रह सकती हैं। जबकि चुनाव के पहले एनडीए 400 पार का नारा दिया जा रहा था। लेकिन अब एनडीए को 300 सीट के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है और संभावना है कि कहीं एनडीए का कुनबा 300 से नीचे ही रह जाए।

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