वाराणसी। शहीदाने कर्बला की याद में दो माह आठ दिन गम का अय्याम रहेगा, मोहर्रम का चांद दिखते ही शिया ख़्वातीन चूड़ियां तोड़ देंगी और काला लिवास पहन लेंगी। इस दौरान जुलूस निकलेगें और जंजीरों का मातम होगा। बुधवार को पराड़कर भवन में पत्रकारों को संबोधित करते हुए शिया जामा मस्जिद के प्रवक्ता सैयद फरमान हैदर ने यह जानकारी दी।
उन्होंने बताया की इस वर्ष मोहर्रम का आगाज सात या आठ जुलाई को चंद्रदर्शन के साथ होगा। 1 मोहर्रम से लेकर 13 मोहर्रम तक शहर के विभिन्न इलाकों में कर्बला के बहत्तर शहीदों की याद में अलम, ताजिया, दुलदुल, ताबूत के जुलूस निकाले जाएंगे। शहर की 28 शिया अंजुमने अपने अपने क्षेत्रों में जुलूस निकलेंगी, जुलूस अपने कदीमी रास्तों से होते हुए दरगाहे फातमान, लल्लापुरा, सदर इमामबाड़ा लाट सरैया, कुम्हार का इमामबाड़ा हरिश्चंद्र घाट, शिवाला घाट व हसन बाघ टेंगरा मोड़ रामनगर पर समाप्त होंगे। शहर के सैकड़ों इमामबाड़ों में सुबह से लेकर देर रात तक मजलिसे आयोजित होंगी। इसमें खवातीन की मजलिसे भी शामिल रहेंगी।
सदर इमामबाड़े में उठेगा पहला जुलूस
मोहर्रम का पहला जुलूस पहली मोहर्रम को सदर इमामबाड़ा लाट सरैया सरैय में सायंकाल ४ बजे निकाला जाएगा जो विभिन्न रौजो से सलामी देकर कैंपस में ही समाप्त होगा। 13 मोहर्रम तक ये सिलसिला जारी रहेगा।10 मोहर्रम इमाम हुसैन समेत कर्बला के शहीदों की शहादत का दिन है। इसे यौमे आशूरा भी कहा जाता है। इस बार 16 या 17 जुलाई को मनाया जाएगा। पत्रकार वार्ता में दरगाहे फातमान के मुतावल्ली अब्बास रिज़वी शफक, सदर इमामबाड़े के मुतावल्ली सज्जाद अली गुज्जन, कुम्हार के इमामबाड़े के मुतावल्ली आलिम हुसैन रिजवी ने भी शिरकत की।