नाटी इमली का भरत मिलाप, वाराणसी की प्राचीन और सांस्कृतिक धरोहरों में से एक है जिसे विश्वभर में श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाता है। दशहरा के अगले दिन, विजयादशमी को इस ऐतिहासिक स्थान पर आयोजित होने वाला यह आयोजन पौराणिक और धार्मिक महत्व से परिपूर्ण है।
इतिहास और परंपरा:
भरत मिलाप की कहानी रामायण के उस प्रसंग पर आधारित है जब भगवान श्रीराम, 14 वर्षों का वनवास पूरा कर, माता सीता और भाई लक्ष्मण के साथ अयोध्या लौटते हैं। उनके छोटे भाई भरत, जिन्होंने इस अवधि में राम की खड़ाऊं को राजसिंहासन पर रखकर राज्य की बागडोर संभाली थी, अपने बड़े भाई से मिलने के लिए दौड़ पड़ते हैं। इस मिलन के दौरान भावुक क्षणों में भरत का समर्पण और राम का आदर, धर्म और कर्तव्य का आदर्श उदाहरण प्रस्तुत करता है।
यह आयोजन वाराणसी के नाटी इमली इलाके में आयोजित होता है, जहाँ हर वर्ष लाखों की संख्या में श्रद्धालु इस महान मिलन का दृश्य देखने के लिए आते हैं। यहाँ की विशेषता यह है कि इस रामलीला का मंचन, वाराणसी की धरोहरों में से एक, शाही अंदाज में होता है, जहाँ भगवान राम, लक्ष्मण और भरत के पात्रों का अभिनय करने वाले कलाकारों को विशेष रूप से पूजा जाता है। यह परंपरा करीब 500 साल पुरानी है, और इसे काशी के राजपरिवार द्वारा संरक्षण मिला हुआ है।
आयोजन का आकर्षण:
नाटी इमली का भरत मिलाप केवल धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह सांस्कृतिक एकता का प्रतीक है। इस दिन, श्रद्धालु पवित्र मानी जाने वाली तिथियों के अनुसार अपने आराध्य के साथ राम-भरत मिलन के साक्षी बनते हैं। यहाँ के मुख्य आकर्षणों में शामिल है राम, लक्ष्मण और भरत के मंचन के लिए विशेष रूप से तैयार रथ और झांकियाँ, जो पारंपरिक वस्त्रों और गहनों से सुसज्जित होती हैं।
समारोह में स्थानीय निवासियों के साथ-साथ दूर-दूर से आए लोग हिस्सा लेते हैं। इस मौके पर पूरे क्षेत्र को दिव्य सजावट से सजाया जाता है, और भगवान राम, लक्ष्मण और भरत की आरती का आयोजन किया जाता है। इस आयोजन की एक और विशेषता यह है कि यह रात के समय होता है, और हजारों दीयों और मशालों की रोशनी के बीच इसकी भव्यता देखते ही बनती है।
धार्मिक और सामाजिक महत्व:
भरत मिलाप का यह आयोजन धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह केवल रामायण की कथा का मंचन नहीं है, बल्कि यह भाईचारे, त्याग, और परिवार के प्रति कर्तव्य की भावना को उजागर करता है। भरत और राम का यह मिलन हर भाई के प्रति उसके प्रेम और आदर को दर्शाता है। धार्मिक महत्ता के साथ-साथ, यह आयोजन सामाजिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। नाटी इमली का भरत मिलाप केवल धार्मिक या सांस्कृतिक नहीं, बल्कि सामुदायिक एकजुटता का प्रतीक भी है, जहाँ हर वर्ग के लोग साथ मिलकर इस आयोजन को सफल बनाते हैं।
नाटी इमली का विश्वप्रसिद्ध भरत मिलाप भारतीय संस्कृति और धार्मिक धरोहर का ऐसा अद्वितीय पर्व है, जो हर साल लाखों लोगों को आपस में जोड़ता है। यह आयोजन वाराणसी की समृद्ध संस्कृति, परंपरा और धार्मिक इतिहास का अभिन्न हिस्सा है। वर्षों से चली आ रही यह परंपरा आज भी उतनी ही प्रासंगिक और उत्साही है, जितनी पहले हुआ करती थी। इस अवसर पर श्रद्धालुओं का उमड़ा सैलाब, भक्ति और आस्था की अद्वितीय शक्ति को दर्शाता है।