वाराणसी(काशीवार्ता)।वाराणसी में लगातार हो रही बारिश के कारण गंगा नदी का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है। पहाड़ों में भारी वर्षा के कारण मैदानों में गंगा के जलस्तर में वृद्धि देखी जा रही है, जिससे हर तरफ चिंता की स्थिति उत्पन्न हो गई है। वाराणसी, जो धर्मनगरी के नाम से प्रसिद्ध है, में भी गंगा का जलस्तर खतरे के निशान के करीब पहुंच गया है। इस कारण गंगा घाटों पर सामान्य जनजीवन प्रभावित हो रहा है और वहां की गतिविधियों में भी परिवर्तन आ रहा है तथा गंगा आरती का स्थान भी बदल दिया गया है।
गंगा आरती का स्थान परिवर्तन
वाराणसी के दशाश्वमेध घाट पर प्रतिदिन होने वाली विश्व प्रसिद्ध गंगा आरती का स्थान पिछले कुछ दिनों से बदल रहा है। मंगलवार को यह आरती गंगा घाट की बजाय छत पर आयोजित की गई। जलस्तर के तेजी से बढ़ने के कारण घाट पर आरती करना संभव नहीं हो पा रहा है। इसी के चलते अब गंगा आरती घाटों से हटकर छतों पर संपन्न हो रही है।
अन्य धार्मिक गतिविधियों पर प्रभाव
गंगा के जलस्तर में वृद्धि के कारण घाटों पर होने वाली अन्य धार्मिक गतिविधियाँ भी प्रभावित हो रही हैं। शवों के दाह संस्कार, जो आमतौर पर घाटों पर किए जाते हैं, अब छतों पर किए जा रहे हैं। यह बदलाव लोगों के लिए असुविधाजनक है, लेकिन सुरक्षा की दृष्टि से आवश्यक है।
प्रशासनिक तैयारी और सावधानी
स्थानीय प्रशासन गंगा के बढ़ते जलस्तर को देखते हुए सतर्क है और लोगों को सुरक्षित स्थानों पर जाने की सलाह दी जा रही है। आपदा प्रबंधन टीमें भी तैनात की गई हैं ताकि किसी भी आकस्मिक स्थिति से निपटा जा सके। लोगों को पानी के समीप जाने से मना किया जा रहा है और बाढ़ की संभावना को देखते हुए निचले इलाकों के निवासियों को अलर्ट किया गया है।
जलस्तर के बढ़ने के कारण
गंगा का जलस्तर बढ़ने के प्रमुख कारणों में पहाड़ी क्षेत्रों में लगातार हो रही भारी बारिश शामिल है। मौसम विभाग ने आने वाले दिनों में भी भारी बारिश की संभावना जताई है, जिससे जलस्तर में और वृद्धि की संभावना है।
वाराणसी में गंगा का जलस्तर बढ़ना एक गंभीर स्थिति है जो स्थानीय लोगों के दैनिक जीवन और धार्मिक गतिविधियों को प्रभावित कर रही है। प्रशासन और स्थानीय लोग मिलकर इस स्थिति से निपटने का प्रयास कर रहे हैं। ऐसे समय में सावधानी और सतर्कता अत्यंत आवश्यक है ताकि किसी भी प्रकार की अनहोनी से बचा जा सके। धार्मिक गतिविधियों को छतों पर स्थानांतरित करना एक अस्थायी समाधान है, लेकिन यह सुरक्षा के दृष्टिकोण से सही कदम है। उम्मीद है कि स्थिति जल्द ही सामान्य होगी और गंगा आरती फिर से घाटों पर संपन्न हो सकेगी।