महाकुंभ में त्याग, संयम और संकल्प की त्रिवेणी: दिनेश स्वरूप ब्रह्मचारी का अद्वितीय संकल्प

महाकुंभ नगर, 12 जनवरी
संगम के तट पर आयोजित महाकुंभ में आस्था, त्याग और साधना की अद्भुत झलक देखने को मिल रही है। कल्पवास की परंपरा का निर्वाह करते लाखों कल्पवासी अपने जीवन का नया अर्थ गढ़ रहे हैं। इन्हीं में एक विशिष्ट नाम है—दिनेश स्वरूप ब्रह्मचारी। उनकी साधना और संकल्प हर किसी को प्रेरित कर रही है।

41 वर्षों से कर रहे हैं अखंड कल्पवास

उत्तर प्रदेश के महोबा जिले के निवासी दिनेश स्वरूप ब्रह्मचारी पिछले 41 वर्षों से लगातार कल्पवास कर रहे हैं। उनके पिता विद्यालय में प्राचार्य थे, जिनकी मृत्यु के बाद उन्हें अनुकंपा के तहत शिक्षक की नौकरी मिली। लेकिन गृहस्थ जीवन और नौकरी को त्याग कर, उन्होंने साधना का मार्ग चुना। ब्रह्मचारी ब्रह्म मुहूर्त में गंगा स्नान कर पूजा-अर्चना करते हैं और फिर अपने हाथों से 51 दंडी स्वामी साधुओं के लिए भोजन तैयार करते हैं। हालांकि, वह स्वयं अन्न और जल का सेवन नहीं करते।

41 वर्षों से अन्न-जल का त्याग

दिनेश स्वरूप ब्रह्मचारी ने 41 साल पहले अखंड कल्पवास का संकल्प लिया और उसी दिन से अन्न और जल का पूरी तरह त्याग कर दिया। वे केवल चाय का सेवन करते हैं, जिसके कारण उन्हें “पयहारी” के नाम से जाना जाता है। डॉक्टर्स ने उन्हें कई बार ऐसा न करने की सलाह दी, लेकिन उनके दृढ़ संकल्प ने उन्हें विचलित नहीं किया। दो बार बाईपास सर्जरी और 80% हृदय कार्यक्षमता खोने के बावजूद उनकी ऊर्जा और संकल्प अटूट है। उनकी इस स्थिति ने डॉक्टर्स और श्रद्धालुओं को आश्चर्यचकित कर दिया है।

त्याग के साथ शिक्षा का अद्वितीय दान

दिनेश स्वरूप ब्रह्मचारी शिक्षा को अपना मिशन बना चुके हैं। नागवासुकी मार्ग के सेक्टर 17 में स्थित अपने शिविर में उन्होंने एक मंदिर स्थापित किया है, जहां बाला जी भगवान की तस्वीर के साथ हजारों किताबें रखी गई हैं। ये किताबें प्रशासनिक परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्रों के लिए हैं। ब्रह्मचारी बीएससी (बायो) के छात्र रहे हैं और वर्षों से पुस्तकों का अध्ययन कर उनका सार निकालकर नोट्स बनाते हैं।

ब्रह्मचारी अपने नोट्स आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के छात्रों को प्रसाद के रूप में वितरित करते हैं। जो छात्र शिविर में नहीं आ सकते, उन्हें ये नोट्स व्हाट्सएप के माध्यम से भेजे जाते हैं। उनके शिष्यों के अनुसार, एनसीईआरटी और अन्य प्रशासनिक परीक्षाओं की हजारों किताबों का निचोड़ उनके नोट्स में मिलता है। अब तक उनके नोट्स की मदद से कई दर्जन छात्र पीसीएस जैसी प्रतिष्ठित परीक्षाएं उत्तीर्ण कर चुके हैं।

त्याग और साधना का अनूठा उदाहरण

दिनेश स्वरूप ब्रह्मचारी की साधना और त्याग महाकुंभ में आस्था और संयम की एक नई मिसाल पेश कर रहे हैं। उनका जीवन दूसरों के लिए प्रेरणा का स्रोत है। 41 वर्षों के त्याग और सेवा के बावजूद, उनकी जिजीविषा और समर्पण हर किसी को हैरत में डालते हैं। शिक्षा और सेवा के प्रति उनकी लगन त्याग और समर्पण की पराकाष्ठा का प्रतीक है।

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