वाराणसी/रोहनिया।इण्डियन इकोनॉमिक एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं मणिपुर केंद्रीय विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति ने आईसीएसआर दिल्ली के सौजन्य से अर्थशास्त्र विभाग काशी हिंदू विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित 12 दिवसीय “क्षमता वृद्धि कार्यक्रम” के समापन के अवसर पर मुख्य वक्ता के रूप में युवा प्रोफ़ेसरों एवं शोध छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि हमारे रिग वेद तथा उपनिषदों में शोध के गाइडिंग सिद्धांत बहुत स्पष्ट रूप से बताये गये हैं। आज आवश्यकता इस बात की है कि हमारे शोधकर्ता उन सिद्धांतों का अनुकरण करके विश्व की मानवता के लिए कल्याणकारी शोध कार्य करें।उन्होंने कहा कि वेदों में यह स्पष्ट रूप से कहा गया है कि शोध ट्रांसबाउंडरी होना चाहिए और वैश्विक समस्याओं को इसमें सम्मिलित करना चाहिए।समाजविज्ञान के क्षेत्र में आईसीएसआर के योगदान की सराहना करते हुए उन्होंने कहा शोध के क्षेत्र में भारतीय शोधकर्ताओं को अपनी पूरी क्षमता का प्रयोग करते हुए बहुत कुछ करने की आवश्यकता है।आप सभी भविष्य के शोधार्थियों से समाज के लिए बहुत कुछ करने की आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है।विश्व की वर्तमान सामाजिक,आर्थिक,राजनीतिक,वैज्ञानिक समस्याओं को सुलझाने के लिए भारतीय शोधार्थियों को और विशेषकर काशी हिंदू विश्वविद्यालय के शोधार्थियों को आगे आकर दिशानिर्देशन करना चाहिए।आज देश की वर्तमान सरकार इस क्षेत्र में काफ़ी प्रयत्नशील है हमे इस अनुकूल वातावरण में अपने कार्य में तेज गति लाने की आवश्यकता है। इस अवसर पर अपना विचार व्यक्त करते हुए आईआईटी रुड़की के प्रो एस पी सिंह ने कहा कि में सार्थकता होनी चाहिये।
सामाजिक विज्ञान संकाय की प्रमुख प्रो बिंदा परांजपे ने कहा कि शोध की सर्वाधिक समस्या प्लेगरिज्म है इससे हमें सावधान रहना चाहिए।
अर्थशास्त्र विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो भूपेन्द्र विक्रम सिंह ने शोध को विकास से ज़ोड़ने पर बल दिया।कोर्स के डायरेक्टर एवं अर्थशास्त्र विभाग काशी हिंदू विश्वविद्यालय के विभागाध्यक्ष प्रो मृत्युंजय मिश्रा ने कहा कि इस कार्यक्रम में आप सभी ने बहुत कुछ सीखा है उसे उपयोग में लाने की आवश्यकता है।अंत में धन्यवाद ज्ञापन को- कोर्स डायरेक्टर डॉ गजेंद्र कुमार साहू ने किया।