गौ महिमा महोत्सव का भव्य तृतीय दिवस सम्पन


गौ महिमा महोत्सव का भव्य तृतीय दिवस सम्पन्न

वाराणसी |
गौ महिमा महोत्सव के तीसरे दिन गौ भक्तमाल कथा का समापन हुआ। आरती और गौ पूजन के बाद भक्तों ने कथा सुनी। महाराज श्री ने कहा कि आज नंदी पर सबसे अधिक अत्याचार हो रहा है। दूध के लिए गाय तो पाल ली जाती है, लेकिन नंदी को कोई नहीं पालता। उन्होंने बताया कि गोपेश बाबा की टीम जितनी भी अवैध ट्रक रोकती है, उनमें अधिकतर नंदी ही होते हैं।

महाराज ने कहा कि नंदी ही धर्म का स्वरूप हैं और उनकी रक्षा करना हर हिंदू का कर्तव्य है। पथमेड़ा गोधाम महातीर्थ में 40 हजार से अधिक नंदी की सेवा की जा रही है। गोवंश के प्रति अपराधों के कारण मानवता संकट में है। सभी को गौ रक्षा और सेवा के लिए आगे आना चाहिए।


शिव जी ने लिया संरक्षण का संकल्प

कथा के दौरान महाराज श्री ने बताया कि एक प्रसंग में गौ माता के दूध का झाग शिव जी पर गिरने से वे क्रोधित हुए। ब्रह्मा जी ने बताया कि वह झाग भी पवित्र है। इसके बाद सुरभि गाय ने शिव जी का अभिषेक किया और शिव जी ने सभी पशुओं की रक्षा का संकल्प लेते हुए पशुपतिनाथ स्वरूप धारण किया।

महाराज ने कहा कि गौ माता के प्राकट्य और उनके महत्व से जुड़े कई प्रसंग शास्त्रों में मिलते हैं और शिव भक्तों को गौ रक्षा का संकल्प लेना चाहिए।


छत्रपति शिवाजी महाराज का उदाहरण

महाराज श्री ने कथा में बताया कि बाल्य अवस्था में ही शिवाजी महाराज ने एक कसाई द्वारा गौ माता पर अत्याचार देख उसका दंड दिया। यह प्रसंग गौ माता की रक्षा के लिए प्रेरणा देता है कि आवश्यकता पड़ने पर प्राणों की बाजी भी लगानी चाहिए।


कृष्ण की गौ सेवा पर आधारित कथा

कथा में बताया गया कि कैसे भगवान कृष्ण ने गोपाष्टमी से गाय चराने की अद्भुत लीलाएं कीं और समाज को गौ सेवा का संदेश दिया। महाराज ने कहा कि हमें भी कृष्ण की प्रेरणा से गौ संरक्षण के लिए एकजुट होना चाहिए।


भजन संध्या के साथ आज का कार्यक्रम सम्पन्न

शाम को वायलिन वादक श्री सुखदेव प्रशांत मिश्रा और तबला वादक श्री श्रीकांत मिश्रा ने अपनी प्रस्तुति दी। दर्शकों ने इस सांस्कृतिक आयोजन का आनंद लिया।


गोपाष्टमी पर विशेष आयोजन

कल गोपाष्टमी पर शोभायात्रा, सांस्कृतिक कार्यक्रम और गौ विज्ञान पर व्याख्यान होगा। 1966 के गौ रक्षा आंदोलन और गोलीकांड पर आधारित नाट्य मंचन भी प्रस्तुत किया जाएगा। सभी गौ भक्तों को कार्यक्रम में आमंत्रित किया गया है।


देशी गाय के वैज्ञानिक महत्व पर व्याख्यान

बीएचयू के प्रो. डॉ. वैभव जायसवाल ने कहा कि देशी गायों को छोड़कर विदेशी नस्लों को अपनाने से स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव बढ़े हैं। उन्होंने बताया कि बीएचयू में भारतीय देशी गोवंश पर शोध के लिए विशेष विभाग स्थापित है। सभी नागरिकों को गोवंश संरक्षण के लिए जागरूक होने की अपील की गई।


विशिष्ट संतों और विद्वानों की उपस्थिति

इस अवसर पर पूज्य गोपेश कृष्ण दास जी महाराज, डॉ. अनुज मिश्र, डॉ. वैभव जायसवाल, पंचगंगा घाट के बिंदु माधव मंदिर के पुजारी सहित कई संत, वेदपाठी बटुक और श्रद्धालु उपस्थित रहे।


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