वाराणसी। सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.बिहारी लाल शर्मा ने विजयदशमी का पावन पर्व पर भारतीय संस्कृति में अच्छाई की बुराई पर जीत का प्रतीक है। इसका शास्त्रीय महत्व गहराई से भारतीय धर्म और दर्शन में समाहित है। विजयदशमी का पर्व शास्त्रों में विशेष स्थान रखता है। इस दिन श्रीराम के रावण पर विजय के रूप में मनाया जाता है, जो धर्म की अधर्म पर, सत्य की असत्य पर, और प्रकाश की अंधकार पर विजय का प्रतीक है। महाभारत में भी इस दिन का उल्लेख है, जब पांडवों ने अपना अज्ञातवास समाप्त कर अपने शस्त्रों को पुनः प्राप्त किया था। शास्त्रों के अनुसार, यह दिन शक्ति और शौर्य का पूजन करने का दिन है। नवरात्रि के नौ दिनों के उपवास और देवी की पूजा के पश्चात्, दसवें दिन विजयदशमी पर शक्ति की आराधना का विशेष महत्व बताया गया है। यह केवल बाहरी शत्रुओं पर विजय का नहीं, बल्कि अपने आंतरिक दोषों पर विजय प्राप्त करने का प्रतीक है।
दशहरा का पर्व सदैव धर्म के मार्ग पर चलने औ बुराइयों को परास्त करने की देता है प्रेरणा
कुलपति प्रो. बिहारी लाल शर्मा ने कहा कि दशहरा का पर्व न केवल ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह जीवन के शाश्वत मूल्यों की पुनः स्थापना और मानवता के कल्याण का प्रतीक है। यह पर्व हमें सदैव धर्म के मार्ग पर चलने और अपने भीतर की बुराइयों को परास्त करने की प्रेरणा देता है।
सम्पूर्ण समाज को एक सूत्र में पिरोने का प्रतीक
विजयदशमी का पर्व भारतीय समाज में सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी अत्यधिक महत्वपूर्ण है। यह पर्व संपूर्ण समाज को एकजुट करने, परस्पर सद्भाव बढ़ाने और नैतिक मूल्यों की पुनः स्थापना का अवसर प्रदान करता है। रामलीला का आयोजन और रावण दहन के साथ यह पर्व समाज को यह संदेश देता है कि बुराई चाहे कितनी भी शक्तिशाली क्यों न हो, सत्य और धर्म की विजय अवश्य होती है।
समाज में व्याप्त असमानता, बुराईयों एवं हिंसा को मिलकर दूर करें
कुलपति ने कहा कि विजयदशमी का पर्व आज के सामाजिक संदर्भ में भी अत्यंत प्रासंगिक है। यह पर्व हमें यह सिखाता है कि हमें समाज में व्याप्त असमानताओं, हिंसा और अन्य बुराइयों का सामना एकजुट होकर करना चाहिए। जिस प्रकार श्रीराम ने रावण का संहार कर धर्म की स्थापना की, उसी प्रकार आज के समाज को भी नैतिकता, सहनशीलता और सत्य के मार्ग पर चलते हुए सामाजिक कुरीतियों को समाप्त करने का संकल्प लेना चाहिए। कुलपति ने आग्रह किया कि वे विजयदशमी के इस पर्व को आत्म-शुद्धि, सद्भावना और समाज में शांति एवं एकता स्थापित करने के संकल्प के साथ मनायें। उक्त जानकारी जनसंपर्क अधिकारी शिशेन्द्र मिश्र ने दी।