
महाकुम्भ में वैज्ञानिक ने लाखों श्रद्धालुओं के बीच गंगा जल पीकर दिखाया
महाकुम्भनगर, 23 फरवरी: गंगा जल की शुद्धता को लेकर बड़ी घोषणा हुई है। प्रसिद्ध वैज्ञानिक पद्मश्री डॉ. अजय सोनकर ने वैज्ञानिक शोधों के आधार पर बताया कि फीकल कोलीफॉर्म बैक्टीरिया गंगा जल में जीवित नहीं रह सकता। लाखों श्रद्धालुओं के सामने उन्होंने गंगा जल पीकर इसकी शुद्धता को प्रमाणित किया।
ठंडे तापमान में निष्क्रिय रहता है फीकल कोलीफॉर्म
डॉ. सोनकर के अनुसार, यह बैक्टीरिया 35 से 45 डिग्री सेल्सियस के तापमान में पनपता है। 20 डिग्री सेल्सियस से कम तापमान में यह पूरी तरह निष्क्रिय हो जाता है और खुद को बढ़ा नहीं सकता। महाकुम्भ के दौरान गंगा जल का तापमान 10 से 15 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जिससे बैक्टीरिया के पनपने की कोई संभावना ही नहीं रही।
गंगा जल स्नान और आचमन के लिए उपयुक्त
वैज्ञानिक ने संगम के विभिन्न घाटों पर जल का तापमान जांचकर पुष्टि की कि गंगा जल बैक्टीरिया के लिए प्रतिकूल है। उन्होंने स्पष्ट किया कि गंगा जल स्नान और आचमन के लिए पूरी तरह सुरक्षित है और शरीर के रोगाणुओं को दूर करने में भी सहायक हो सकता है।
गंगा जल की शुद्धता पर कोई संदेह नहीं
सदियों से गंगा जल अपनी विशेषता के लिए प्रसिद्ध रहा है। अब वैज्ञानिक शोधों ने भी इसकी शुद्धता को प्रमाणित कर दिया है। डॉ. सोनकर ने कहा कि वैज्ञानिक तथ्यों के आधार पर यह स्पष्ट है कि मौजूदा ठंडे जल में फीकल कोलीफॉर्म जीवित नहीं रह सकता, जिससे गंगा जल की पवित्रता बनी रहती है।