
वाराणसी-(काशीवार्ता)-दो दिन पहले वाराणसी कचहरी परिसर में बड़ागांव थाने के दरोगा मिथिलेश प्रजापति के साथ हुई मारपीट की घटना ने अब नया मोड़ ले लिया है। इस घटना से आहत पीड़ित दरोगा का पूरा परिवार सोमवार को पुलिस कमिश्नर कार्यालय के बाहर धरने पर बैठ गया। परिवार का कहना है कि यदि वर्दीधारी पुलिसकर्मी ही सुरक्षित नहीं हैं, तो आम नागरिकों की सुरक्षा कैसे सुनिश्चित होगी। परिवार के सदस्य हाथों में तख्तियां लेकर न्याय की गुहार लगा रहे हैं। उनका स्पष्ट कहना है कि दरोगा पर हमले में शामिल लोगों की शीघ्र गिरफ्तारी होनी चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि उनके परिजन रोज़ाना कई किलोमीटर दूर से ड्यूटी के लिए आते हैं और सेवा करते हैं, लेकिन यदि पुलिस कर्मियों पर ही इस तरह खुलेआम हमला होगा और आरोपी गिरफ्त से बाहर रहेंगे, तो पुलिस महकमे का मनोबल टूटेगा।
गौरतलब है कि 16 सितंबर को वाराणसी के कैंट थाना क्षेत्र स्थित कचहरी परिसर में कथित वकीलों और दरोगा के बीच विवाद हुआ था, जो देखते ही देखते मारपीट में बदल गया। इस मामले में लगभग 10 नामजद ओर 60 अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। लेकिन अब तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है, जिससे पीड़ित परिवार आक्रोशित है। पुलिस कमिश्नरेट में हड़कंप मच गया। कई अधिकारी मौके पर पहुंचे और परिवार को समझाने-बुझाने की कोशिश की। परिजनों का कहना है कि जब तक आरोपियों पर कड़ी कार्रवाई नहीं होती और गिरफ्तारी नहीं की जाती, तब तक उनका धरना जारी रहेगा।
क्या मिलेगा इंसाफ
न्याय के मंदिर में एक पुलिसवाले के साथ हुई बदसलूकी और मारपीट का मामला अब तूल पकड़ता जा रहा है। वाराणसी कचहरी में कुछ वकीलों द्वारा दारोगा की पिटाई के बाद भी जब आरोपियों पर कोई सख्त कार्रवाई नहीं हुई, तो दारोगा के परिवारवालों का सब्र जवाब दे गया। इंसाफ की आस में गुरुवार को दारोगा मिथलेश कुमार के परिजन पुलिस कमिश्नर के दफ्तर के बाहर धरने पर बैठ गए। परिजनों का दर्द साफ झलक रहा था। उन्होंने कहा कि पुलिस विभाग का हिस्सा होने के बावजूद उनके अपने के साथ ऐसा बर्ताव हुआ, और तो और, इस गंभीर मामले में भी पुलिस प्रशासन ढिलाई बरत रहा है। उनकी आंखों में गुस्सा और लाचारी, दोनों थी। उन्होंने कमिश्नर से गुहार लगाई कि आरोपियों के खिलाफ तुरंत और कठोर कार्रवाई की जाए। यह घटना सिर्फ एक दारोगा की पिटाई का मामला नहीं रह गया है, बल्कि यह कानून व्यवस्था और पुलिस के मनोबल से जुड़ा एक बड़ा सवाल बन गया है। अगर एक वर्दीधारी ही सुरक्षित नहीं है, तो आम जनता का क्या होगा? यह सवाल हर किसी के मन में है। अब सबकी निगाहें प्रशासन पर टिकी हैं। क्या पुलिस कमिश्नर इस मामले में कोई बड़ा कदम उठाएंगे? क्या दारोगा और उसके परिवार को इंसाफ मिलेगा? या यह मामला भी धीरे-धीरे ठंडे बस्ते में चला जाएगा? यह वक्त ही बताएगा, लेकिन इतना तय है कि इस घटना ने पुलिस और न्याय व्यवस्था के रिश्ते पर एक गहरा सवाल खड़ा कर दिया है।