वाराणसी। वाराणसी के अस्सी क्षेत्र में इन दिनों प्राचीन जगन्नाथ मंदिर के कपाट बंद है, क्योंकि भगवान बीमार पड़े हैं और उन्हें आराम कि सख्त आवश्यकता है, क्योंकि ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन भगवान के प्रेम में भाव बिहवल होकर भक्तों ने उन्हें सुबह से शाम तक इतना स्नान कराया कि वे अपने भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ बीमार पड़ गए, और मंदिर के अन्दर विश्राम गृह में चले गए। बीमार पड़े भगवान के शीघ्र स्वस्थ होने के लिए जहाँ पर मंदिर के कपाट बंद कर दिए गए हैं वहीं सुबह बिना घंटा घड़ियाल के बंद कपाट के अन्दर पुजारी भगवान की आरती करते है, साथ ही हर शाम को उन्हें गंगा जल में बनी काली मिर्च, लौंग, छोटी – बड़ी इलायची, जायफल, तुलसी, गुलाब जल और शक्कर से तैयार काढ़े का भोग लगाया जा रहा है, ताकि भगवान शीघ्र स्वस्थ होकर भक्तो को दर्शन दे सकें।
वहीं इन दिनों शाम को भगवान को भोग लग रहे काढ़े का प्रसाद लेने के लिए बड़ी संख्या में भक्त अस्सी स्थित मंदिर पहुँच रहे हैं और काढ़े का प्रसाद ग्रहण कर रहे हैं। भक्तों को विश्वास है कि इस काढ़े से अगर भगवान ठीक हो जाते हैं तो हम इंसान क्यों नहीं। इसी वजह से लोग यहाँ से प्रसाद के रूप में काढ़े को घर ले जाते हैं और अपने परिवार के साथ इसे ग्रहण करते है, जिससे उनको सभी बीमारियां और दुःख छुटकारा मिल सके। ये काढ़ा हर रोज शाम चार बजे भक्तों में बांटा जाता है।
बता दें कि 15 दिनों तक भगवान के आराम करने के बाद अमावस्या को मंदिर के कपाट खुलेंगे, और भगवान सुबह से भक्तों को दर्शन देंगे। 15वें दिन भगवान को परवल के काढ़े का भोग लगाया जायेगा और दोपहर में पूड़ी और परवल की सब्जी का भोग। जिसके बाद शाम को भगवान जगन्नाथ अपने भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ डोली में सवार होकर अपने ससुराल रथयात्रा के लिए प्रस्थान कर जायेंगे, जहाँ पर भगवान 7 जुलाई को लख्खा मेले में सबको दर्शन देंगे।