वाराणसी(काशीवार्ता)। पुलिस की संवेदना मर गई है। जिंदा तो जिंदा मुर्दे को भी पुलिस इंतजार करा रही है। असल में छह दिन से मोर्चरी में रखा शव मौत के बाद अपने सद्गति के इंतजार में है। शव की सड़न से उठ रही दुर्गंध से अस्पताल में मरीजों के परिजनों, डाक्टरों, उधर से गुजरने वाले राहगीरों और दुकानदारों का जीना मुहाल हो गया है।
जानकारी के मुताबिक, कैंट रेलवे स्टेशन से 95 वर्षिय वृद्ध को लू से पीड़ित होने पर बीमारी की हालत में एक स्वयं सेवी ने मंडलीय अस्पताल में 14 जून की दोपहर मंडलीय अस्पताल के मेडिसिन वार्ड में भर्ती कराया। इलाज के दौरान उसकी मौत 15 जून की दोपहर हो गई। शव के पोस्टमार्टम के लिए उसे मोर्चरी में अस्पताल प्रशासन ने रखवा कर कोतवाली पुलिस को इसकी सूचना दी।
आज छठें दिन भी 10.30 बजे तक पुलिस उसके निस्तारण के लिए मंडलीय अस्पताल नहीं पहुंच पाई थी। अस्पताल प्रशासन ने आज पुनः मेमो के माध्यम से पुलिस को जानकारी दी।
17 शव पोस्टमार्टम की लाइन में
इस संबंध में मंडलीय अस्पताल के प्रमुख अधिक्षक डॉ. एसपी सिंह ने बताया कि पुलिस के समय से शवों के निस्तारण नहीं करने की वजह से शवों की दुर्दशा के साथ विषम परिस्थिति उत्पन्न हो जाती है। इसकी लिखित सूचना बराबर कोतवाली पुलिस को दी जाती है। कल से लेकर आज तक मोर्चरी में 17 शव पोस्टमार्टम के लिए पडे थे।