माननियों की फौज, जनधन पर मारे मौज

प्रत्येक वर्ष शैक्षणिक यात्रा के नाम पर जाता है पार्षदों का दल

अब तक एक दर्जन से अधिक हुईं यात्राएं, सार्थक नहीं हुआ निहितार्थ

वाराणसी। चाहे सपा, कांग्रेस, बसपा हो या फिर भाजपा। जनहित की चासनी में पगी उनके नेताओं की बातें भ्रम की इतनी मिठास घोलती हैं कि आमजन उन्हें सिर-आँखों पर बैठा लेता हैं। लागत है कि जनता के हितों के लिए उनसे बड़ा कोई त्यागी कोई दूसरा नहीं है। राष्ट्र प्रेम उनकी रगो में दौड़ रहा है लेकिन हकीकत कोसों दूर है। इन अलग-अलग विचारघाराओं के दलों में अधिकतर नेता सिर्फ बातों से ही नहीं, कर्मों से भी जनता को ठगने का काम करते हैं। बानगी के तौर पर वाराणसी नगर निगम की स्थानीय सरकार है। जिसकी कार्यशैली इन अशांकाओं को बल देती है। बस यूँ समझें कि इस सरकार के माननियों की फौज जनधन से मौज मार रही है। लाखों रुपये खर्च कर शैक्षणिक यात्रा किये जाते हैं और उसका निहातार्थ सार्थक नहीं होता। वजह, कागज पर यात्रा जनहित से जुड़ा होता है लेकिन वास्तव में सभी माननीय देश के अन्य राज्यों में पिकनिक मानाने जाते हैं। सम्बंधित राज्यों के शहरों में भ्रमण के दौरान नगरीय प्रबंधन से जुड़ी कोई शिक्षा लेते हैं न ही लौटने के बात कोई रिपोर्ट बनाकर नगर निगम सरकार को सौंपते हैं। सदन में चर्चा के दौरान दल के सदस्य यात्रा वृतांत को भी साथियों के साथ साझा नहीं करते। लाखों रुपये का खर्च जिस निकाय सरकार के बजट से खर्च हुआ उसे भी नहीं बताते हैं। हां, यह जरूर है कि दलों के माननीय सदस्य एकांतवास में मौज को इस तसल्ली से महसूस करते हैं कि अन्य साथियों को भी यात्रा के प्रति प्यास बाढ़ जाती हैं। यही वहज है कि पक्ष हो या विपक्ष, सभी को अपनी बारी का इंतजार होता है जिसकी जकड़न उन्हें इस जनधन के दुरूपयोग पर मुंह खोलने से रोक देती है।

8 सितंबर को असम यात्रा, 38 लाख खर्च

इस बार भी 82 पार्षदों का दल 8 सितंबर को शैक्षणिक यात्रा पर असम जा रहा है। नगर निगम के बजट से लगभग 38 लाख रुपये व्यय किये जायेंगे। निगम सूत्रों ने बताया की भुगतान का 80 प्रतिशत भुगतान यानि करीब 30 लाख रुपये टूर ले जाने वाली कम्पनी को दिया जा चुका है। कागजी कोरम की बात करें तो यात्रा के दौरान उन्हें वहां की नगरीय प्रबंधन को लेकर अध्ययन करना है। एक रिपोर्ट तैयार कर महापौर को सुपुर्द करना है जिसके आधार पर स्थानीय स्तर पर नगरीय प्रबंधन को बेहतर बनाने के लिए मंथन करना उद्देश्य रहता है।

क्योटो तक हुई यात्रा, परिणाम जनधन की बर्बादी

शैक्षणिक यात्रा की बात करें तो सपा सरकार में भाजपा के महापौर रहे रामगोपाल मोहले के साथ सरकारी अफसरों को शामिल करते हुए एक दल जापान के क्योटो शहर गया था। लौटने पर दल के सदस्यों ने सपनों की गठरी जनता को दिखाया। साल-दर-साल बीत गए लेकिन परिणाम जनधन की बर्बादी ही निकला। ऐसे ही विगत वर्ष पार्षदों का दल सूरत के अहमदाबाद गया था। वहां की साफ- सफाई व्यवस्थ का अध्ययन करना था लेकिन लौट कर आये किसी पार्षद ने सदन में जनहित का सफाई से जुड़ा कोई भी प्रस्ताव प्रस्तुत नहीं किया। इसके पहले मैसूर, मुम्बई, जम्मू-कश्मीर भी पार्षदों का दल गया था। हर बार इनके आने जाने, खाने-पीने घुमने की सारी व्यवस्था नगर निगम अपने कोष से करता रहा है। लेकिन हर बार यात्रा की कोई भी रिपोर्ट नहीं बानी।

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