राष्ट्रीय सेवा योजना, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ द्वारा राष्ट्रीय युवा दिवस के उपलक्ष्य में एक दिवसीय संगोष्ठी आयोजित
वाराणसी। राष्ट्रीय सेवा योजना, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ द्वारा केंद्रीय पुस्तकालय स्थित समिति कक्ष में राष्ट्रीय युवा दिवस के उपलक्ष्य में रविवार को एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। साथ ही दो महापुरुषों स्वामी विवेकानंद एवं काशी विद्यापीठ के प्रथम कुलपति भारत रत्न डॉ. भगवान दास जी को भी उनकी जयंती पर याद किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ स्वामी विवेकानंद, डॉ. भगवान दास, डॉ. शिव प्रसाद गुप्त एवं महात्मा गांधी के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलन के साथ हुआ। अध्यक्षता माननीय कुलपति प्रो. आनंद कुमार त्यागी ने किया।
अध्यक्षीय उद्बोधन में प्रो. आनंद कुमार त्यागी ने कहा कि स्वामी विवेकानंद युवाओं के प्रेरणा स्रोत हैं। स्वामी विवेकानंद के पदचिन्हों पर चलते हुए युवाओं को सशक्त और ज्ञानवान बनना चाहिए। उन्होंने कहा कि भविष्य केवल ज्ञान का है, भारत का यह संदेश पूरे विश्व में प्रसारित होना चाहिए। किसी भी व्यक्ति या राष्ट्र को आगे बढ़ाने के लिए ज्ञान का मार्ग सबसे बेहतर मार्ग है। उन्होंने बताया कि ज्ञानार्जन की शक्ति अध्ययन और भ्रमण से पोषित होती है। उन्होंने कहा कि मानवीय मूल्यों का अधिग्रहण करके एक सशक्त राष्ट्रीय नागरिक का निर्माण किया जाना चाहिए।
मुख्य वक्ता वाणिज्य विभाग के अध्यक्ष प्रो. अजीत कुमार शुक्ल ने विवेकानंद जी के व्यक्तित्व और कृतित्व प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि स्वामी जी द्वारा विश्व पटल पर भारत की छवि को एक पहचान दिलाई और मानवता के कल्याण के लिए कार्य किया। उन्होंने दोनों महापुरुषों को दर्शनशास्त्र का निष्णात विद्वान एवं भारतीय मीमांसा तथा चिंतन का पुरोधा बताया। उन्होंने कहा कि विवेकानंद जी भारत में अंधकार को दूर करने के लिए एक नए सूर्य थे। विवेकानंद जी के व्यक्तित्व पर उनकी माता भुवनेश्वरी देवी एवं गुरु रामकृष्ण परमहंस जी का अत्यधिक प्रभाव था। प्रो. शुक्ल ने कहा कि विवेकानंद जी ने यूरोप, अमेरिका सहित संपूर्ण विश्व में भारतीय चिंतन परंपरा को आगे बढ़ाया और भारतीय वांङ्मय एवं शिक्षा को एक नया कलेवर प्रदान किया।
राष्ट्रीय सेवा योजना के समन्वयक डॉ. रविंद्र कुमार गौतम ने स्वामी विवेकानंद को राष्ट्रीय सेवा योजना का आदर्श बताते हुए स्वामी जी के योगदान एवं उनके भारत की संस्कृति और अध्यात्म को विश्व पटल पर लाने के अमूल्य अवदान की चर्चा की। कुलानुशासक प्रो. के.के. सिंह ने कहा कि स्वामी विवेकानंद ने भारतीय संस्कृति एवं सनातन परंपरा को शीर्ष पर पहुंचाया तथा अपने विद्वत्ता से पूरे राष्ट्र को गौरवान्वित किया।
संचालन डॉ. अनिता एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ. भारती कुरील ने किया। इस अवसर पर महामना मदन मोहन मालवीय हिन्दी पत्रकारिता संस्थान के निदेशक डॉ. नागेंद्र कुमार सिंह, राष्ट्रीय सेवा योजना के कार्यक्रम अधिकारी डॉ. ध्यानेंद्र कुमार मिश्र, डॉ. वीणा वादिनी अर्याल, डॉ. अंबुज, एस एंजेला, डॉ. अंबरीश राय, डॉ. रमेश सिंह, डॉ. सतीश कुशवाहा, डॉ. जयशंकर सिंह आदि उपस्थित रहे।