आत्मा को गहरी नींद में सुलाने से ही मिल रहे कष्ट

औघड़ गुरुपद संभव राम ने अपने आशीर्वचन में व्यक्त किये उदगार
वाराणसी अघोर पीठ श्री सर्वेश्वरी समूह संस्थान देवस्थानम, अवधूत भगवान राम कुष्ठ सेवा आश्रम, पड़ावमें अघोरेश्वर भगवान राम की 88वीं जयंती पर सायंकालीन गोष्ठी आयोजित की गई। संस्था के सदस्यों, शिष्यों एवं श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए औघड़ गुरुपद संभव राम ने कहा-सुनने का महत्व तभी है जब हम उसका चिंतन-मनन करके उस पर चलने का प्रयत्न करें क्यों कि प्रयत्न ही पुरुषार्थ है। यदि हम प्रयत्नशील होंगे तो वह पुरुषार्थ हममें आएगा। उन्होंने कहा कि यदि आप उन अघोरेश्वर को सच्चे मन से याद करेंगे, अपने पास महसूस करेंगे तो हमें वह मदद जरूर मिलेगी। यदि सही मायने में उनकी वाणियों पर, उनके आदर्शों पर, उनके आचरण पर अपना व्यवहार करने लगेंगे, चलने लगेंगे तो हमें किसी और चीज की आवश्यकता ही नहीं पड़ेगी। उन्होंने कहा कि हमारे शरीर को वस्त्र ढँकता है और इसके अंदर हमारा शरीर रहता है और उसके अन्दर हमारी आत्मा निवास करती है, और जिसे हमने गहरी नींद – में सुला रखा है। उसी को चैतन्य करने के लिए हमें उस तक पहुँचना है। उन्होंने कहा कि जिससे जितना अधिक लगाव रहेगा वही कष्ट देते हैं। मां-बाप कितने प्रेम से अपने बालकों को रखते हैं, रात-रात भर जागना भी पड़ता है। बड़े होने पर यह जो समाज है और यह शिक्षण संस्थाएं हैं वह यह सब नहीं सिखाती हैं, ना वहाँ कुछ बताया जाता है। यहां केवल कैसे अर्थ को अर्जित किया जाय, यही समझाया जाता है। इसके चलते हमलोगों की पीढ़ी का दिमाग ही उस तरफ नहीं है। बहुत मुश्किल है यह डगर, इसको करना, इस पर चलना बहुत कठिन भी है और बहुत आसान भी है। जिसको विवेक है, बुद्धि है उसके लिए बहुत आसान है और जिसके पास यह नहीं है तो उसके लिए बहुत ही मुश्किल है। अघोर का मार्ग बहुत ही सहज है, मगर सुगम नहीं है। उसको सुगम बनाने के लिए अपने में सकारात्मकता को जागृत करना होगा, अपने-आप में रहने का प्रयत्न करेंगे, सेवा भाव को और राष्ट्रीयता को सर्वोपरि कर्तव्य मानेंगे, अपनी आने वाली पीढ़ी को अच्छी-अच्छी बातों से अवगत कराएंगे, उनके सामने गलत बातें, झगड़ा-लड़ाई नहीं करेंगे, तभी वह सुगम होगा। बुरी चीजों से आजकल के बच्चे बहुत जल्दी प्रभावित हो जा रहे हैं। टीवी-मोबाइल और बाहर की जो संगति है। उससे भी बिगड़ने का बहुत खतरा रहता है। तो उसके लिए भी अपनी संततियों को तैयार करना होगा। गोष्ठी में सर्वप्रथम पूज्यपाद बाबा के कर कमलों से गाजीपुर स्थित भुड़कुड़ा पीजी कालेज के पूर्व प्रवक्ता डॉ० अशोक कुमार सिंह द्वारा अघोरेश्वर महाप्रभु पर लिखित उपन्यास ‘फकीर की लकीर’ का लोकार्पण किया गया। अन्य वक्ताओं में यूपी कॉलेज के अवकाशप्राप्त विभागाध्यक्ष (हिंदी) डा. रामसुधार सिंह, उपन्यास के लेखक डा. अशोक कुमार सिंह, भोलानाथ त्रिपाठी इंस्पेक्टर, वी आई पी सुरक्षा, अघोर शोध संस्थान के निदेशक डॉ० अशोक कुमार सिंह, सर्वेश्वरी समूह की प्रबंध समिति के पदाधिकारी शशि गुप्ता, हिंडाल्को, रेनुकूट में सहायक महाप्रबंधक एसपी यादव, पलामू झारखण्ड में शिक्षक ग्रोमिको ने अपने विचार व्यक्त किये। धन्यवाद-ज्ञापन श्री सर्वेश्वरी समूह के प्रचार मंत्री पारस नाथ यादव ने किया।

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