सुल्तानपुर मुठभेड़ पर सवाल खड़े करना, हरहुआ की घटना में बचाव से पार्टी का चरित्र उजागर
वाराणसी(काशीवार्ता)। 2017 से पूर्व अपराधियों को लेकर सपा सरकार की सोच में लगता है आज भी बदलाव नही आया है। तब आरोप लगता था कि प्रदेश में कानून व्यवस्था नाम की कोई चीज नहीं है। एक जाति व धर्म विशेष से जुड़े अपराधियों को मनमानी करने की खुली छूट थी। वर्तमान में योगी राज में बुल्डोजर से लेकर तमाम बड़ी कार्रवाई करने को पुलिस के हाथ खुले हैं। अपराधियों पर ताबड़तोड़ कार्रवाई हो रही है। नतीजा यह है कि आज गैंगवार का खात्मा हो चुका है। कही कोई वारदात हो रही है तो पुलिस फौरी कार्रवाई कर रही है। हाल की कुछ घटनाओं को लेकर सपा की आक्रामकता ने 2017 से पूर्व की याद ताजा कर दी है। पिछले दिनों सुल्तानपुर में एक सर्राफ के यहां डेढ़ करोड़ की डकैती पड़ी। इसमें जौनपुर के बदमाश मंगेश यादव का नाम आया। इसके बाद पुलिस मंगेश यादव को मुठभेड़ में मार देती है। उसके ऊपर एक लाख का ईनाम घोषित था। इसके बाद सियासत शुरू हो गई। सपा प्रमुख अखिलेश यादव का बयान आया कि यह मुठभेड़ फर्जी थी।
दो दिन पहले मंगेश को पकड़ा गया और जाति पूछ कर उसे गोली मारी गई। आरोप यह भी लगाया कि मंगेश के साथ पकड़े गये अन्य अपराधियों को पैर में गोली मारी गई क्योंकि वे दूसरी जाति के थे। इसके बाद कल सपा का प्रतिनिधिमण्डल मंगेश के गांव जौनपुर गया और मृतक के परिजनों से मिल कर सांत्वना प्रकट की। यह भी कहा कि वे इस मुद्दे को सड़क से लेकर सदन तक उठायेंगे। अब लौटतें हैं बनारस की ओर। परसों रात हरहुआ रिंग रोड पर रोड रेज की एक घटना हुई। जन्मदिन मनाने जा रहे एक परिवार की कार को किसी ट्रक ने टक्कर मार दी। इसके बाद कार मालिक और ट्रक चालक में विवाद होने लगा। इस विवाद में पास के गाँव के एक जाति विशेष के अपराधी किस्म के दो सगे भाई कूद पड़े और कार चालक से मारपीट की। जब पुलिस आयी तो दोनों अपराधी साथियों संग पुलिस से भी भिड़ गये। खैर पुलिस किसी तरह दोनों को पकड़ कर थाने लायी और कल अदालत में पेश किया। अब यहां से राजनीति शुरू होती है। चंदौली से सपा सांसद ने इसे मुद्दा बनाया । अपनी पार्टी के तमाम नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ जिÞला मुख्यालय पहुंच हंगामा करने लगे।भारी पुलिस फोर्स बुलानी पड़ी। सांसद ने आरोप लगाया कि पुलिस ने जाति विशेष का होने के नाते उन दोनों व्यक्तियों को पकड़ा है। बताते चलें कि पकड़े गये दोनों व्यक्तियों में से एक जिला पंचायत सदस्य तो दूसरा ग्राम प्रधान है। इन दोनों के ऊपर शिवपुर और बड़ागांव थाने में हत्या,हत्या का प्रयास बलवा जैसे गम्भीर आरोपों में दर्जनों मुकदमे दर्ज हैं। यह भी आरोप है कि रिंग रोड पर ये दोनों अक्सर अराजकता फैलाते हैं और वाहन चालकों से वसूली करते हैं। थोड़ा पीछे लौटतें हैं। बुलडोजर के संबंध में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद सपा प्रमुख अखिलेश यादव का आक्रामक बयान सामने आया।वे कहते हैं कि उनकी पार्टी सत्ता में आयी तो बुलडोजर का मुँह गोरखपुर की तरफ मोड़ दिया जाएगा।इशारा स्पष्ट है कि अब तक जो हुआ उसका बदला लिया जाएगा। देखा जाय तो 4 जून को लोकसभा चुनाव परिणाम आने के बाद सपा के नेता पूरे जोश खरोश के साथ राजनीति कर रहे है। चुनाव परिणाम अप्रत्याशित थे। पांच सांसदों वाली पार्टी अचानक 37 सांसदों वाली पार्टी बन गई।उसके हाथ पीडीए का फामूर्ला लग गया। पीडीए यानी पिछड़ा दलित और अल्पसंख्यक। इसी के सहारे वह आगामी उपचुनाव और विधानसभा चुनाव की वैतरणी पार करना चाहती है, लेकिन सत्ता प्राप्ति की इस दौड़ में वह अपराधियों को गले लगाने से भी गुरेज नहीं कर रही, जबकि एक समय अखिलेश यादव ने डीपी यादव और मुख़्तार अंसारी के मुद्दे पर अपनी पार्टी में ही विद्रोह किया था।दोनों को पार्टी से निकाल कर ही दम लिया था। अब अखिलेश यादव न सिर्फ़ मुख़्तार अंसारी की मौत पर मातमपुर्सी करने उनके आवास मोहम्दाबाद गये बल्कि एक जाति विशेष से जुड़े मुद्दे को जोर शोर से उठाने को पार्टीजनो को निर्देश भी दे रहे। देखा जाय तो जाति के बहाने सपा प्रमुख जिस राजनीति को हवा दे रहे उससे वे अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा में भले ही सफल हो जायें लेकिन वह प्रदेश को जातिवाद के भंवर में जरूर धकेल देंगें।
अब गुंडों की जाति भी बताने लगी सपा: धर्मेंद्र राय
भाजपा एमएलसी धर्मेंद्र राय ने समाजवादी पार्टी पर करारा हमला बोलते हुए कहा कि इस पार्टी का चाल, चरित्र व चेहरा किसी से छिपा नहीं है। अब वह गुंडों की भी जाति बताने लगे हैं। अपराधियों की भला कोई जाति होती है। अपराधी, केवल अपराधी और उन्हें हर हाल में कानून का डर होना चाहिए। प्रदेश की योगी जी की सरकार निष्पक्ष तरीके से अपराधियों पर अंकुश लगा रही है। सपा को ऐसे मामलों में राजनीति से बाज आना चाहिए। हाल ही में सुल्तानपुर मुठभेड़ में मारे गये अपराधी व हरहुआ के वाजिदपुर में एक परिवार से मारपीट, लूटपाट व छेड़छाड़ में शामिल सपा कार्यकतार्ओं का यहां के स्थानीय सपा जनप्रतिनिधियों द्वारा बचाव में बोलना कहीं से उचित नहीं कहा जा सकता।