साइबेरियन पक्षियों से बढ़ीगंगा किनारे की रौनक

4400 किमी दूर से काशी
पहुंचते हैं विदेशी परिंदे

पक्षियों कोपहुंचाया नुकसान
तो होगी सख्त कार्रवाई

वाराणसी काशीवार्ता।
ठंड बढ़ने के साथ ही काशी में गंगा के घाटों पर साइबेरियन पक्षियों की संख्या में इजाफा हो रहा है। साइबेरिया से 4400 किलोमीटर की लंबी दूरी तय कर यह पक्षी हर साल नवंबर से फरवरी तक यहां अठखेलियां करते नजर आते हैं। इन पक्षियों के कलरव और समूह में उड़ान का नजारा सैलानियों और स्थानीय लोगों को बेहद आकर्षित कर रहा है। गंगा की लहरों पर ये पक्षी ऐसे लगते हैं, जैसे पानी पर सफेद चादर बिछ गई हो।
बीएचयू की प्रो. चांदना हलदार के अनुसार, साइबेरियन पक्षी यूरोप, अफगानिस्तान, मंगोलिया और चीन होते हुए काशी पहुंचते हैं। रास्ते में बर्फीली हवाएं, वायु और ध्वनि प्रदूषण इनके लिए सबसे बड़ी चुनौती होती है। इनमें से कई पक्षी रास्ता भटक जाते हैं या यात्रा पूरी करने से पहले ही दम तोड़ देते हैं।काशी पहुंचने पर भी ये पक्षी प्रदूषण और अनुचित आहार की समस्या से जूझते हैं। पर्यटक इन्हें ब्रेड, नमकीन और लाई खिला देते हैं, जो इनके लिए नुकसानदायक है। इससे कई पक्षी मर जाते हैं या वापस जाते समय रास्ते में दम तोड़ देते हैं।
काशी में वन विभाग ने इन पक्षियों की सुरक्षा के लिए जागरूकता अभियान शुरू किया है। घाटों के आसपास टीम तैनात की गई है, जो इनकी सुरक्षा सुनिश्चित कर रही है। वन विभाग के अधिकारी ने बताया कि पक्षियों को नुकसान पहुंचाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
प्रो. हलदार ने बताया कि जनवरी के शुरुआती सप्ताह में पक्षियों की संख्या और बढ़ने की उम्मीद है। पर्यटकों और स्थानीय लोगों से अपील की गई है कि वे इन्हें सुरक्षित और स्वाभाविक वातावरण देने में सहयोग करें।

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