
वाराणसी (काशीवार्ता) ऐढे, रिंग रोड, चांदमारी स्थित स्थल पर शिव शिष्य हरीन्द्रानन्द फाउंडेशन द्वारा शिव गुरू महोत्सव का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का उद्देश्य महेश्वर शिव के गुरू स्वरूप से जन-जन को जोड़ना तथा प्रत्येक व्यक्ति को “शिव-शिष्य” के रूप में प्रेरित करना रहा।
महोत्सव की मुख्य वक्ता दीदी बरखा आनन्द ने अपने संबोधन में कहा कि “शिव केवल नाम के नहीं, बल्कि काम के गुरू हैं।” उन्होंने बताया कि शिव के औढरदानी स्वरूप से धन, धान्य, संतान और समृद्धि प्राप्त करने की परंपरा तो प्रचलित है, परंतु उनके गुरू स्वरूप से ज्ञान प्राप्त करने की आवश्यकता सबसे अधिक है। उन्होंने कहा कि बिना ज्ञान के कोई भी संपदा या शक्ति व्यक्ति के लिए घातक भी सिद्ध हो सकती है।
दीदी बरखा आनन्द ने आगे कहा कि “शिव जगतगुरू हैं, इसलिए जगत का हर व्यक्ति—धर्म, जाति, संप्रदाय या लिंग से परे—शिव को अपना गुरू बना सकता है।” उन्होंने स्पष्ट किया कि शिव का शिष्य बनने के लिए किसी पारंपरिक दीक्षा या औपचारिकता की आवश्यकता नहीं है। केवल यह भाव और विचार ही पर्याप्त है कि—“शिव मेरे गुरू हैं।”
कार्यक्रम में उपस्थित लोगों ने शिव गुरू स्वरूप की महत्ता को समझा और शिव को अपने जीवन का मार्गदर्शक मानने का संकल्प लिया।
