खेल डेस्क। अपने पांचवें ओलंपिक के लिए कड़ी तैयारियों में जुटे अनुभवी टेबल टेनिस खिलाड़ी अचंत शरत कमल को पेरिस में मिलने वाली कड़ी चुनौती के बावजूद उम्मीद है कि इस बार खेल में ओलंपिक का पदक का सूखा खत्म होगा। पेरिस ओलंपिक के लिए भारतीय टीम के ध्वजवाहक शरत कमल इस समय जर्मनी में ट्रेनिंग में जुटे हैं।
पेरिस में भारतीय पुरुष टीम की अगुआई करने वाले शरत ने भारतीय खेल प्राधिकरण द्वारा आयोजित कराई गयी ‘वर्चुअल’ बातचीत में कहा, ‘‘पहली बार हम टीम (पुरुष और महिला) स्पर्धाओं में खेलेंगे। ओलंपिक में इतनी कड़ी प्रतिस्पर्धा होती है। मेरे पास राष्ट्रमंडल खेलों (सात स्वर्ण सहित 13 पदक), एशियाई खेलों (दो कांस्य) के पदक हैं। बस ओलंपिक पदक की कमी है। उम्मीद करता हूं कि इस बार देश के, खेल महासंघ और खुद के लिए यह पदक जीत सकें।’’
उन्होंने कहा, ‘‘टीम स्पर्धाओं में युगल सबसे अहम होता है क्योंकि हम शुरूआत ही इससे करते हैं। अगर अच्छी शुरूआत हो तो आत्मविश्वास बढ़ता है।’’ शरत मानते हैं कि शारीरिक फिटनेस के साथ मानसिक रूप से मजबूती पदक दिलाने में अहम होगी और ट्रेनिंग सत्र में टीम मजबूती पर काफी काम किया जा रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘टीम को मजबूती देने पर जोर लगा है क्योंकि सभी की उम्मीदों से दबाव होगा ही। ओलंपिक ‘खेलों का उत्सव’ है, जहां हर खेल के शीर्ष एथलीट होते हैं और अगर सफलता हासिल करनी है तो दबाव का आनंद लेकर खेलना होगा। युवा खिलाड़ी हैं, जिनमें से कुछ का पहला ओलंपिक है। लेकिन सभी को दबाव से निपटना होगा। हम अपना फोकसअपने प्रदर्शन पर रखना होगा। ’’
वर्ष 2004 में ओलंपिक में पदार्पण करने वाले 41 वर्षीय शरत का यह अंतिम ओलंपिक होगा। अपने दो दशक के करियर में शरत ने ऐसा दौर भी देखा है जब खिलाड़ियों को अपनी छोटी छोटी जरूरतों के लिए खेल मंत्रालय के चक्कर काटने पड़ते थे। शरत ने कहा, ‘‘मैंने जब 2004 में पहले ओलंपिक में हिस्सा लिया था तो मैं काफी युवा था। तब इस तरह का समर्थन नहीं मिलता था। 2008 तक भी ऐसा ही था, तब खिलाड़ियों को ही हर पहलू पर ध्यान रखना पड़ता था, कोच से लेकर उपकरण तक। लेकिन 2016 के बाद से टॉप्स की मदद और मार्गदर्शन से खिलाड़ियों का काम सिर्फ अपने खेल पर ही फोकस करना होता है।