13वें राष्ट्रीय बीज सम्मेलन (NSC) का द्वितीय दिवस

महिला सशक्तिकरण, बीज प्रणाली और टिकाऊ कृषि नवाचार पर केंद्रित रहा चर्चा

  वाराणसी। 13वें राष्ट्रीय बीज सम्मेलन (NSC) 2024 के दूसरे दिन शुक्रवार को कृषि में महिलाओं की परिवर्तनकारी भूमिका, बीज प्रणाली में नवीन दृष्टिकोण और वैश्विक कृषि चुनौतियों से निपटने के लिए स्थिरता की आवश्यकता पर केंद्रित कई महत्वपूर्ण चर्चा सत्र आयोजित किए गए। दिन की शुरुआत उत्तर प्रदेश सरकार की कृषि उत्पादन आयुक्त, श्रीमती मोनिका एस. गर्ग के प्रेरणादायक संबोधन से हुई। उन्होंने “बीजों के संरक्षक: बीज प्रणाली में महिलाएं, युवा और छोटे किसान” विषय पर आयोजित सत्र को संबोधित किया।
   अपने भाषण में, श्रीमती गर्ग ने कृषि में महिलाओं की अनदेखी लेकिन महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि भारत में महिलाएं कृषि श्रमशक्ति का लगभग 33% से 50% हिस्सा हैं, फिर भी उनके काम को अक्सर मान्यता नहीं मिलती। उन्होंने महिलाओं को भूमि, वित्त, प्रौद्योगिकी और नीति-निर्माण के मंचों तक समान पहुंच देने की आवश्यकता पर जोर दिया।

उन्होंने कहा, “कृषि भारत की अर्थव्यवस्था की जीवनरेखा है, जो 50% से अधिक श्रमशक्ति को रोजगार देती है। इस क्षेत्र में महिलाओं की भूमिका अमूल्य है। वे न केवल खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करती हैं, बल्कि भारत के सतत विकास की नींव भी रखती हैं। हालांकि, संसाधनों की सीमित पहुंच और निर्णय-निर्माण प्रक्रियाओं में उनकी भागीदारी कम है।”
उन्होंने जलवायु परिवर्तन के असमान प्रभावों का भी उल्लेख किया, जो ग्रामीण महिलाओं को सबसे अधिक प्रभावित करते हैं। उन्होंने बताया कि सूखा और अनियमित बारिश जैसी समस्याएं इन महिलाओं के जीवन को और कठिन बनाती हैं। फिर भी, श्रीमती गर्ग ने कृषि में महिलाओं की दृढ़ता की सराहना की। उन्होंने कहा, “इन बाधाओं के बावजूद, महिलाएं कृषि में परिवर्तनकारी बदलाव ला रही हैं। वे स्थायी खेती के तरीकों और स्थानीय बीजों को संरक्षित करने जैसे नवाचारों की अग्रणी हैं। महिलाओं का योगदान जैव विविधता बनाए रखने और ग्रामीण समुदायों में खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में अत्यंत महत्वपूर्ण है।”
उन्होंने बताया कि महिलाएं पारंपरिक ज्ञान को सहेजने के साथ-साथ प्रौद्योगिकी का उपयोग कर उत्पादकता बढ़ा रही हैं। मोबाइल टेक्नोलॉजी, डिजिटल प्लेटफॉर्म और वास्तविक समय में मौसम की जानकारी का उपयोग फसल उत्पादन और बाजार तक पहुंच में सुधार के लिए किया जा रहा है। इसके अलावा, महिलाओं द्वारा संचालित स्वयं सहायता समूह (SHG) और सूक्ष्म वित्त पहलें ग्रामीण महिलाओं को कृषि में निवेश और आर्थिक स्वतंत्रता के अवसर प्रदान कर रही हैं। श्रीमती गर्ग ने कहा, “हमें महिलाओं को केवल कृषि में भागीदार के रूप में नहीं, बल्कि समान भागीदार के रूप में देखना चाहिए। नीतियों को महिलाओं के दृष्टिकोण को ध्यान में रखकर बनाया जाना चाहिए, जिससे उन्हें संसाधनों, शिक्षा और नेतृत्व के समान अवसर मिलें।”
दिन के अन्य सत्रों में भारतीय बीज क्षेत्र की नीतियों में प्रगति और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने के लिए फसल सुधार कार्यक्रमों के भविष्य पर चर्चा की गई। अंतिम सत्र में टिकाऊ कृषि पद्धतियों की आवश्यकता पर जोर देते हुए जलवायु परिवर्तन के अनुकूल फसल सुधार कार्यक्रमों पर चर्चा की गई।
तकनीकी सत्रों ने फसल सुधार और बीज उत्पादन में नवीनतम प्रौद्योगिकियों और रणनीतियों पर मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्रदान की। एक सत्र में जलवायु परिवर्तन और खाद्य सुरक्षा जैसी चुनौतियों से निपटने के लिए बीज उत्पादन और किस्म प्रतिस्थापन की उन्नत तकनीकों पर चर्चा की गई। वहीं, मक्का की उत्पादकता बढ़ाने पर एक अन्य सत्र ने टिकाऊ कृषि तकनीकों पर ध्यान केंद्रित किया। इन सत्रों के साथ-साथ कई पक्ष कार्यक्रम भी आयोजित किए गए। इनमें ग्लोबल साउथ के लिए संसाधन-कुशल खेती, खाद्य सुरक्षा में मिलेट्स का महत्व, सीधी बुवाई के जरिए चावल उत्पादन की दक्षता बढ़ाने की संभावना, और देशी फसलों व बीजों के माध्यम से किसानों को सशक्त बनाने जैसे विषय शामिल थे। NSC 2024 के दूसरे दिन की चर्चाओं ने नवाचार, समावेशिता और स्थिरता पर जोर दिया। इन चर्चाओं ने भारतीय कृषि क्षेत्र और वैश्विक स्तर पर टिकाऊ समाधान विकसित करने की दिशा में ठोस कदम बढ़ाने का मार्ग प्रशस्त किया।

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