ऋषभ शेट्टी ने काशी में की गंगा आरती, ‘कांतारा: चैप्टर 1’ की सफलता पर जताया आभार

फिल्म अभिनेता और निर्देशक ऋषभ शेट्टी इन दिनों अपनी बहुचर्चित फिल्म ‘कांतारा: चैप्टर 1’ की सफलता का जश्न मना रहे हैं। फिल्म की जोरदार शुरुआत और शानदार समीक्षाओं के बाद ऋषभ शेट्टी अपनी टीम के साथ देवों की नगरी वाराणसी पहुंचे, जहां उन्होंने काशी विश्वनाथ मंदिर में भगवान शिव के दर्शन किए और अपनी फिल्म की सफलता के लिए आभार प्रकट किया। इसके बाद उन्होंने गंगा आरती में भी हिस्सा लिया और मां गंगा से आशीर्वाद लिया।

ऋषभ शेट्टी ने कहा कि ‘कांतारा’ की सफलता उनके लिए सिर्फ एक सिनेमाई उपलब्धि नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक अनुभव भी है। उन्होंने बताया कि फिल्म की आत्मा भारतीय संस्कृति, आस्था और प्रकृति से गहराई से जुड़ी है, और यही वजह है कि वाराणसी जैसे पवित्र शहर से बेहतर स्थान कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए नहीं हो सकता था।

‘कांतारा: चैप्टर 1’ को होम्बले फिल्म्स ने प्रोड्यूस किया है और यह स्टूडियो की अब तक की सबसे महत्वाकांक्षी परियोजनाओं में से एक मानी जा रही है। फिल्म को पूरे देश में शानदार प्रतिक्रिया मिल रही है। दर्शकों और समीक्षकों दोनों ने इसकी कहानी, संगीत और सिनेमैटोग्राफी की जमकर तारीफ की है। फिल्म के निर्देशक और मुख्य अभिनेता ऋषभ शेट्टी ने अपनी अभिनय क्षमता और निर्देशन दोनों से दर्शकों का दिल जीत लिया है।

फिल्म की क्रिएटिव टीम में म्यूजिक डायरेक्टर बी. अजनीश लोकनाथ, सिनेमैटोग्राफर अरविंद कश्यप, और प्रोडक्शन डिज़ाइनर विनेश बंग्लान शामिल हैं। इन कलाकारों ने मिलकर फिल्म की विजुअल प्रस्तुति को इतना शानदार बनाया है कि दर्शक हर दृश्य में खुद को उस लोककथा का हिस्सा महसूस करते हैं। फिल्म की पृष्ठभूमि में भारतीय लोक संस्कृति, प्रकृति की शक्तियों और इंसान के आध्यात्मिक संघर्ष को गहराई से दिखाया गया है।

‘कांतारा: चैप्टर 1’ को 2 अक्टूबर को दुनियाभर में कन्नड़, हिंदी, तेलुगु, मलयालम, तमिल, बंगाली और अंग्रेजी भाषाओं में रिलीज किया गया है। इसकी कहानी और प्रस्तुति ने अलग-अलग भाषाई दर्शकों के दिलों में एक समान प्रभाव छोड़ा है। यह फिल्म भारतीय सिनेमा की उस दिशा की झलक दिखाती है, जहां लोककथाएं, परंपराएं और आधुनिक सिनेमाई तकनीक मिलकर एक गहरी भावनात्मक यात्रा बनाती हैं।

वाराणसी में आयोजित इस विशेष पूजा और गंगा आरती के दौरान ऋषभ शेट्टी ने कहा कि उनकी फिल्म सिर्फ मनोरंजन नहीं, बल्कि एक संदेश है कि हमें अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जुड़ा रहना चाहिए। उन्होंने बताया कि ‘कांतारा’ का हर दृश्य भारतीय लोकजीवन और आस्था का आईना है।

फिल्म की सफलता ने यह साबित कर दिया है कि दर्शक अब ऐसी कहानियां देखना चाहते हैं जो न केवल मनोरंजन दें, बल्कि आत्मा को भी छू जाएं। ‘कांतारा: चैप्टर 1’ भारतीय सिनेमा में लोककथाओं के नए युग की शुरुआत कर रही है।

ऋषभ शेट्टी का वाराणसी दौरा सिर्फ एक प्रमोशनल इवेंट नहीं, बल्कि श्रद्धा और कृतज्ञता का प्रतीक था। उन्होंने गंगा आरती में शामिल होकर यह दिखाया कि सिनेमा और आध्यात्मिकता जब एक साथ आते हैं, तो उनका प्रभाव और भी गहरा होता है।

‘कांतारा: चैप्टर 1’ आज सिर्फ एक फिल्म नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति, आस्था और सिनेमा के संगम का उत्सव बन चुकी है।

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