वाराणसी। स्वार्थी व्यक्ति से बड़ा खतरनाक कोई हो नहीं सकता, कई बार ईमानदार व्यक्ति इनके चंगुल में फंसकर बहुत बड़ा नुकसान कर बैठता है, इसी के चलते विद्वानों की सलाह है कि स्वार्थी व्यक्ति से हमेशा दूरी बनाकर रखनी चाहिए। खुदगर्ज इस दुनिया में इंसान की यह पहचान है… जो पराई आग में जल जाये वही तो इंसान है। अपने लिये जिये तो क्या जिये… तू जी, ऐ दिल, जमाने के लिये। परन्तु उक्त लाइनों से इतर इन दिनों पं.दीनदयाल उपाध्याय राजकीय चिकित्सालय के अधिकारी अपनी मस्ती में व्यस्त हैं। 1 जुलाई 2024 को (संविदाकर्मी के रूप में) पीडियाट्रिक चिकित्सक के पद पर डॉ.नेहा जायसवाल ने सीएमएस डॉ.दिग्विजय सिंह के समक्ष अपना कार्यभार ग्रहण किया। लगभग 3 माह तक कार्य करने के उपरांत जब वेतन डॉ.नेहा को प्राप्त नहीं हुआ तो उन्होंने इस संबंध में सीएमएस से शिकायत की। बावजूद उनका वेतन उनके खाते में आहरित नहीं हुआ। जबकि वे अपना योगदान पं.दीनदयाल उपाध्याय राजकीय चिकित्सालय के एमसीएच विंग में लगातार दे रही हैं।
कहा नौकरी करने से बेहतर निजी क्लिनिक खोल लूं
डॉ.नेहा जायसवाल ने काशीवार्ता से बातचीत के दौरान कहा कि 5 माह बीतने के बाद भी वेतन के मद में एक रुपये भी प्राप्त नहीं हुए हैं। बहुत उम्मीदों के साथ मैंने संविदाकर्मी के रूप में पं.दीनदयाल उपाध्याय राजकीय चिकित्सालय में नौकरी शुरू की थी। लेकिन यहां सीएमएस के व्यवहार से अत्यंत ही दुखी हो चुकी हूं। डॉ.नेहा ने कहा कि इससे तो बेहतर होता कि मैं कहीं अपना क्लिनिक खोल लेती और बच्चों का इलाज करती। सीएमएस डॉ.दिग्विजय सिंह के पास जब भी जाती हूं तो उनके द्वारा यह कहा जाता है कि बाबू से फाइल निकलवा लाइये वहीं सम्बंधित बाबू से जब बात करते हैं तो वे कहते हैं कि सीएमएस जब तक लिखित नहीं देंगे कोई फाइल नहीं दी जाएगी।