छोटे अफसर छोड़िये, उपाध्यक्ष तक की नहीं सुनता था आरोपी बाबू
वीडियो में वायरल हुआ रिश्वत का मामला तब हुआ निलम्बित, जांच शुरू
वाराणसी (विनोद पाण्डेय)। विकास प्राधिकरण के सम्पति विभाग में तैनात लिपिक रवि शंकर पर रिश्वत लेने का मामला उजागर होने के बाद से हड़कंप मचा है। यह लाजमी भी है। प्राधिकरण की आम शोहरत यही है कि वहां हमाम में सब नंगे हैं। बस नया यह है कि रवि शंकर पकड़ लिया गया। बात रवि शंकर के सम्पति विभाग में तैनाती की करें तो कई वर्षों से वह एक ही विभाग में कार्यरत रहा है। बाबू की दबंगई इस कदर थी कि छोटे अफसर तो छोड़िये उपाध्यक्ष की भी नहीं सुनता था। करीब चार साल पहले रविन्द्रपूरी निवासी शहर के प्रसिद्ध डॉक्टर को भी खूब परेशान होना पड़ा। उपाध्यक्ष कार्यालय में जिम्मेदारों से गुहार लगाने के बाद भी जब बात नहीं बनी तो तत्कालीन उपाध्यक्ष से भी मुलाकात कर अपना पक्ष रखा और अनापत्ति देने की गुहार लगाई। तत्कालीन उपाध्यक्ष ने निर्देश भी दिया लेकिन मामला ढांक के तीन पात ही निकले। थाकहार कर डॉक्टर साहब को बाबू की अनधिकृत शर्तों को पूरा कराना पड़ा तब उनका काम हुआ। उपाध्यक्ष के पीआरओ के माध्यम से बड़े अफसरों को बाबू की मनमानी के बाबत अवगत भी कराया गया लेकिन तब कोई कार्रवाई नहीं हुई। जब एंटी एंटी करप्शन ने रंगे हाथ पकड़ा तो निलंबित करने के साथ ही जांच शुरू हो गई। सवाल उठता है कि यह पहले क्यों नहीं हुआ। पहले ही सख़्ती करते तो यह नौबत नहीं आती। आखिर वह कौन सी मजबूरियां थीं जिस कारण मनमानी के बाद भी आरोपी बाबू एक ही कुर्सी पर वर्षों से जमा रहा। बता दें कि सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो ’’एंटी करप्शन ने वीडीए कर्मचारी को रिश्वत लेते पकड़ा’’ के संदर्भ में वाराणसी विकास प्राधिकरण (वीडीए) ने शास्त्री नगर आवासीय योजना के आवास संख्या एल 10/138 के संबंध में जानकारी दी। शिकायतकर्ता शिव कुमार सिन्हा ने आवास का नामान्तरण अपने नाम पर करने के लिए कई कानूनी प्रक्रियाओं का सामना किया, लेकिन उनका आवेदन निरस्त हो गया। जहां तक रविशंकर, कनिष्ठ लिपिक संपत्ति अनुभाग के द्वारा रिश्वत लेने का मामला है, तो शासन की जीरो टॉलरेंस नीति के तहत अपचारी कर्मचारी रविशंकर को तत्काल प्रभाव से निलम्बित कर दिया गया है। इसके साथ ही उनके खिलाफ विभागीय/अनुशासनात्मक कार्यवाही भी शुरू कर दी गई है। अपर सचिव, वीडीए को जांच अधिकारी नामित किया गया है।