
वाराणसी।
कांग्रेस महानगर कमेटी वाराणसी के अध्यक्ष राघवेंद्र चौबे ने भाजपा द्वारा आपातकाल के 50 वर्ष पर आयोजित कार्यक्रमों पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि “जिस भाजपा का इतिहास ही मुखबिरी और संविधान विरोधी रहा हो, वह आज आपातकाल पर बात कर रही है।”
राघवेंद्र चौबे ने कहा कि गोडसे से लेकर सावरकर तक, आरएसएस के सभी विचारक संविधान विरोधी रहे हैं। सावरकर तो अंग्रेजों से मुखबिरी करने के बदले तनख्वाह तक लेते थे और अब उन्हीं की विचारधारा में पले-बढ़े लोग संविधान और आपातकाल पर चर्चा कर रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा और मोदी सरकार बीते 11 वर्षों में संविधान की मूल भावना को लगातार कमजोर करने का काम कर रही है—चाहे वह दलित-पिछड़ों के अधिकार हों, सामाजिक सुरक्षा का सवाल हो, या समता और भाईचारे की भावना।
उन्होंने वर्तमान सरकार पर देश में अघोषित आपातकाल थोपने का आरोप लगाते हुए कहा कि आम जनता आज असुरक्षा, अनिश्चितता, महँगाई और बेरोजगारी से त्रस्त है। अपराधी, आतंकी और बलात्कारी बेखौफ घूम रहे हैं और सरकार कब्र खुदवाने, संविधान हत्या दिवस जैसे कार्यक्रमों में व्यस्त है।
चौबे ने यह भी कहा कि भाजपा की सरकार अपने हर असफल मोर्चे से ध्यान भटकाने के लिए रोज़ नए नारे गढ़ती है—बेरोजगारी, महँगाई, अडानी घोटाला, अपराध, महिला सुरक्षा, रेल हादसे, सरकारी दमन, मीडिया नियंत्रण, लोकतंत्र का हनन जैसे मुद्दों पर वह मौन है। उन्होंने सवाल उठाया कि आखिर सरकार इन पर बात क्यों नहीं करती? जवाब साफ़ है—”क्योंकि वर्तमान में उनके पास कहने को कुछ नहीं है।”
उन्होंने कहा, “मोदी सरकार देश को 50 साल पहले और 40 साल आगे की बातों में उलझा रही है, क्योंकि उनके पास आज की समस्याओं से जुड़ा कोई समाधान नहीं है। अब जनता को तय करना होगा कि वह भूतकाल में जीना चाहती है या वर्तमान और भविष्य को सुरक्षित बनाना चाहती है।”
राघवेंद्र चौबे ने अंत में कहा कि कांग्रेस पार्टी देशभर में संविधान बचाओ आंदोलन चला रही है और यही भाजपा की घबराहट का कारण है। जनता को अब भाजपा की “झुनझुना राजनीति” और “विकास की खोखली बातों” से बाहर निकल कर सच्चाई को पहचानना होगा।