जन औषधि संचालकों ने आधा शटर गिराकर और बाहों में काली पट्टी बांधकर जताया विरोधः PMBI द्वारा न्यूनतम दूरी नीति खत्म करने पर वाराणसी के जन औषधि संचालकों का जोरदार विरोधः शुक्रवार को पूरी तरह बंद रहेंगी जन औषधि की दुकानें

वाराणसी।
सरकार द्वारा प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्रों की न्यूनतम दूरी नीति को समाप्त करने के फैसले के विरोध में गुरुवार को वाराणसी जिले के सभी जन औषधि केंद्र संचालकों ने एकजुट होकर अपना विरोध दर्ज कराया। वाराणसी जन औषधि एसोसिएशन के आह्वान पर सभी संचालकों ने अपने दुकानों का आधा शटर गिराकर और बाहों में काली पट्टी बांधकर प्रतीकात्मक प्रदर्शन किया। संचालकों ने साफ कहा कि यदि सरकार ने इस फैसले को वापस नहीं लिया तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा।
गौरतलब है कि सरकार ने पहले जन औषधि केंद्रों के बीच न्यूनतम दूरी एक से डेढ़ किलोमीटर निर्धारित की थी, जिससे संचालकों को ग्राहकों और दवाइयों की उपलब्धता सुनिश्चित करने में सहूलियत रहती थी। लेकिन हाल ही में इस नियम को समाप्त कर दिया गया। संचालकों का कहना है कि इस नीति के खत्म होने से एक ही क्षेत्र में कई केंद्र खुल सकते हैं, जिससे मौजूदा केंद्रों की आय पर सीधा असर पड़ेगा। साथ ही वे पहले से ही विभिन्न आर्थिक और प्रबंधन संबंधी चुनौतियों से जूझ रहे हैं अब यह समस्या और बढ़ जायेगी।
वाराणसी जन औषधि एसोसिएशन के अध्यक्ष अरविन्द कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि PMBI का यह कदम संचालकों के अस्तित्व पर संकट खड़ा कर देगा। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि PMBI ने तुरंत निर्णय वापस नहीं लिया तो आंदोलन को और बड़े स्तर पर ले जाया जाएगा।
महामंत्री अनिमेष गुप्ता ने कहा कि यह विरोध पूरी तरह शांतिपूर्ण है और इसकी सूचना जिला प्रशासन और संबंधित अधिकारियों को पहले ही भेज दी गई है। उन्होंने कहा कि शुक्रवार को जिलेभर की सभी जन औषधि दुकानें पूर्ण रूप से बंद रखी जाएंगी।
उपाध्यक्ष प्रवीन कुमार मौर्य ने कहा कि यदि सरकार अब भी नहीं चेती तो एसोसिएशन फिर बैठक कर नई रणनीति तैयार करेगा और आंदोलन को प्रदेश स्तर तक ले जाया जाएगा। वहीं कोषाध्यक्ष अभिषेक पटेल एवं मीडिया प्रभारी श्रीमती अंजलि वर्मा ने कहा कि वाराणसी प्रधानमंत्री का संसदीय क्षेत्र है। इस नाते हम प्रधानमंत्री के इस प्रकरण पर हस्तक्षेप करने की मांग करते हैं।
एसोसिएशन के पदाधिकारियों का कहना है कि वाराणसी में लगभग 100 से अधिक प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र गरीब और आम लोगों को सस्ती दरों पर दवाइयां उपलब्ध कराने के उद्देश्य से खोले गए थे। लेकिन दूरी नीति खत्म होने से इस योजना की आत्मा पर ही आघात होगा। इससे न केवल संचालक प्रभावित होंगे बल्कि आम जनता को भी दीर्घकाल में परेशानी झेलनी पड़ेगी। संचालकों का गुस्सा इस बात पर भी दिखा कि देश के 46 जिलों में इस न्यूनतम दूरी नीति को खत्म किया गया है। आखिर जब कि अन्य जिलों में यह नीति लागू रहेगी। संचालकों ने एक स्वर में कहा कि वे कल यानि शुक्रवार को अपने प्रतिष्ठान को पूरी तरह से बंद रखेंगे।इसे पुनः हेडिंग सहित लिखे

वाराणसी में जन औषधि केंद्र संचालकों का विरोध

न्यूनतम दूरी नीति समाप्त करने के फैसले पर विरोध तेज

वाराणसी।
सरकार द्वारा प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्रों के बीच निर्धारित न्यूनतम दूरी नीति को समाप्त करने के खिलाफ वाराणसी जिले के सभी जन औषधि केंद्र संचालकों ने गुरुवार को जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। वाराणसी जन औषधि एसोसिएशन के आह्वान पर संचालकों ने अपनी दुकानों का आधा शटर गिराकर और बाहों में काली पट्टी बांधकर प्रतीकात्मक प्रदर्शन किया।

संचालकों की आपत्ति

संचालकों का कहना है कि पहले केंद्रों के बीच 1 से 1.5 किलोमीटर की दूरी अनिवार्य थी, जिससे ग्राहकों की सुविधा और दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित रहती थी। लेकिन इस नियम को हटाने से अब एक ही क्षेत्र में कई केंद्र खुल सकते हैं, जिससे मौजूदा केंद्रों की आय और अस्तित्व पर संकट गहराएगा।

एसोसिएशन की चेतावनी

  • अध्यक्ष अरविन्द कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि PMBI का यह कदम संचालकों के अस्तित्व के लिए खतरा है। यदि निर्णय वापस नहीं लिया गया तो आंदोलन और तेज होगा।
  • महामंत्री अनिमेष गुप्ता ने बताया कि विरोध पूरी तरह शांतिपूर्ण है और इसकी सूचना पहले ही जिला प्रशासन को दी गई है। उन्होंने घोषणा की कि शुक्रवार को जिलेभर की सभी जन औषधि दुकानें बंद रहेंगी।
  • उपाध्यक्ष प्रवीन कुमार मौर्य ने कहा कि यदि सरकार ने अब भी ध्यान नहीं दिया तो आंदोलन प्रदेश स्तर तक ले जाया जाएगा।
  • कोषाध्यक्ष अभिषेक पटेल और मीडिया प्रभारी श्रीमती अंजलि वर्मा ने प्रधानमंत्री से हस्तक्षेप की मांग की, क्योंकि यह उनका संसदीय क्षेत्र है।

जनता पर असर

संचालकों का कहना है कि वाराणसी में 100 से अधिक जन औषधि केंद्र गरीब और आम लोगों को सस्ती दवाइयां उपलब्ध कराने के उद्देश्य से चल रहे हैं। लेकिन दूरी नीति खत्म होने से इस योजना की आत्मा कमजोर होगी और दीर्घकाल में जनता भी परेशान होगी।

गुस्से की बड़ी वजह

संचालकों ने सवाल उठाया कि जब देश के 46 जिलों में यह नीति समाप्त की गई है, तो अन्य जिलों में इसे क्यों जारी रखा गया है। उन्होंने एक स्वर में कहा कि शुक्रवार को सभी जन औषधि केंद्र पूरी तरह बंद रहेंगे।

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