हमारे जीवन को संस्कारी बनाता है प्रेमचंद का साहित्य

वाराणसी (काशीवार्ता)। साहित्य हमारे जीवन को स्वाभाविक और संस्कारी बनाता है। दूसरे शब्दों में, उसी की बदौलत मन का संस्कार होता है। यही उसका मुख्य उद्देश्य है। प्रेमचंद ने साहित्य के प्रति राजनीतिक, सामाजिक, पारिवारिक सभी को उन्होंने अपनी रचनाओं में समेटा और खास करके आम आदमी, किसान व दलित वर्ग के लोगों को वह अपनी रचनाओं में नायक बनाये।

ये कथन प्रो.श्रद्धानंद ने संस्कृति विभाग व जिला प्रशासन की प्रेरणा से प्रेमचंद मार्गदर्शन केंद्र ट्रस्ट लमही द्वारा प्रेमचंद स्मारक स्थल लमही में आयोजित सुनों मैं प्रेमचंद कहानी पाठ में वक्ताओं ने कही। प्रेमचंद की परिवारिक जीवन पर आधारित कहानी गृह निति का पाठन रंगकर्मी व अभिनेता विवेक शर्मा ने किया। ट्रस्ट के संरक्षक प्रो.श्रद्धानन्द, राजीव श्रीवास्तव, आलोक शिवाजी व निदेशक राजीव गोंड ने किया।

इस दौरान कन्हैया कुमार, दुर्गाप्रसाद, राहुल विश्वकर्मा, अजय यादव, विशाल सिंह, सुर्यभान सिंह, सुरेश चंद्र दूबे, राहुल यादव, देव बाबू, जे.पी.सिंह मौजूद रहे। स्वागत राजेश श्रीवास्तव ने, संचालन व धन्यवाद ज्ञापन मनोज विश्वकर्मा ने किया।

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