महाकुंभ 2025 के लिए तैयार हो रहा प्रयागराज का लेटे हुए हनुमान मंदिर

काशीवार्ता न्यूज़: महाकुंभ 2025 के महाआयोजन के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने व्यापक तैयारियां शुरू कर दी हैं, जिसमें प्रमुख रूप से प्रयागराज के प्रसिद्ध लेटे हुए हनुमान मंदिर का जीर्णोद्धार और सौंदर्यीकरण शामिल है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में इस प्राचीन मंदिर को नव्य और भव्य रूप देने का काम तेजी से हो रहा है। यह मंदिर महाकुंभ के दौरान श्रद्धालुओं के लिए आस्था और आकर्षण का केंद्र बनेगा।

मंदिर का सौंदर्यीकरण और विस्तार

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर, मंदिर के गर्भगृह, परिक्रमा पथ, दुकानें, पार्किंग, प्रवेश द्वार, और हवन कुंड का निर्माण कार्य जोरों पर है। मंदिर के चारों ओर एक विशाल कॉरिडोर का निर्माण भी किया जा रहा है। मंदिर का जीर्णोद्धार पहली बार इस स्तर पर हो रहा है, जिसे सीएम योगी की पहल का परिणाम माना जा रहा है। उनके द्वारा स्वयं निरीक्षण करने के बाद, श्रद्धालुओं की संख्या में भी वृद्धि देखी जा रही है।

मंदिर का पौराणिक और ऐतिहासिक महत्व

लेटे हुए हनुमान मंदिर, जिसे “प्रयागराज का कोतवाल” कहा जाता है, का पौराणिक महत्व अत्यधिक है। यह 20 फीट लंबी और धरातल से 6-7 फीट नीचे स्थित प्रतिमा हनुमान जी की दक्षिणाभिमुखी मूर्ति है। माना जाता है कि इनके दाएं पैर के नीचे अहिरावण दबा हुआ है। एक अन्य मान्यता के अनुसार, लंका विजय के बाद हनुमान जी जब वापसी कर रहे थे, तब उन्होंने संगम तट पर लेट कर अपनी थकान मिटाई। इसी पौराणिक कथा के आधार पर यह मंदिर स्थापित किया गया है।

अकबर और बड़े हनुमान मंदिर की कथा

इस मंदिर के इतिहास में एक अन्य महत्वपूर्ण घटना तब घटी, जब मुगल बादशाह अकबर ने 1582 में इसे अपने किले के घेरे में लेने की योजना बनाई थी। हालांकि, अकबर के सैकड़ों सैनिक भी हनुमान जी की मूर्ति को हिलाने में असमर्थ रहे। अंततः उसे किले की दीवार पीछे खिसकानी पड़ी, जो हनुमान जी की शक्ति का प्रतीक माना जाता है।

महाकुंभ 2025 की तैयारी

महाकुंभ 2025 को दिव्य, नव्य और भव्य बनाने के लिए प्रयागराज के प्रमुख मंदिरों को भी सजाया-संवारा जा रहा है। लेटे हनुमान मंदिर का यह जीर्णोद्धार न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह महाकुंभ के दौरान आने वाले लाखों श्रद्धालुओं के लिए भी विशेष आकर्षण का केंद्र होगा।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहल और उनकी निगरानी में, इस ऐतिहासिक मंदिर को नव्य रूप में प्रस्तुत करने की तैयारी महाकुंभ 2025 के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।

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