प्रयागराज में पीएम मोदी ने 5500 करोड़ की 167 परियोजनाओं का लोकार्पण, ‘कुम्भ सहायक’ एआई चैटबॉट का शुभारंभ

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रयागराज में आयोजित एक कार्यक्रम में 5500 करोड़ रुपये की 167 परियोजनाओं का लोकार्पण किया और बहुभाषी एआई चैटबॉट ‘कुम्भ सहायक’ का शुभारंभ किया। इस अवसर पर उन्होंने महाकुम्भ 2025 को एकता और सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक बताया।


प्रयागराज: सांस्कृतिक और आध्यात्मिक केंद्र

पीएम मोदी ने अपने संबोधन में प्रयागराज को केवल एक भौगोलिक स्थान नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक अनुभव क्षेत्र बताया। उन्होंने कहा कि यह पवित्र स्थलों, तीर्थों और नदियों का संगम है। त्रिवेणी का महत्व बताते हुए उन्होंने कहा कि संगम में स्नान करने से व्यक्ति हर पाप से मुक्त हो जाता है।


महाकुम्भ: सांस्कृतिक और सामाजिक एकता का महायज्ञ

प्रधानमंत्री ने महाकुम्भ को “एकता का महायज्ञ” बताया, जहां जाति, भाषा और पंथ के भेद मिट जाते हैं। उन्होंने कहा कि महाकुम्भ हजारों वर्षों से भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक यात्रा का प्रतीक है। इस आयोजन से समाज में समरसता और देश को नई दिशा मिलती है।


स्वच्छता और समर्पण का प्रतीक

प्रधानमंत्री ने स्वच्छता को महाकुम्भ की सफलता का अहम हिस्सा बताते हुए स्वच्छता कर्मियों के योगदान को सराहा। उन्होंने 2019 के कुम्भ में सफाई कर्मियों के पैर धोने को अपने जीवन का यादगार अनुभव बताया।


आर्थिक प्रगति और रोजगार के अवसर

पीएम ने महाकुम्भ को आर्थिक गतिविधियों का भी स्रोत बताया। लाखों श्रद्धालुओं के आगमन से प्रयागराज और आसपास के क्षेत्रों में रोजगार और व्यापार में तेजी आएगी। उन्होंने इसे सामाजिक मजबूती के साथ आर्थिक सशक्तिकरण का भी माध्यम कहा।


डिजिटल कुम्भ: एआई और टेक्नोलॉजी का प्रयोग

पीएम मोदी ने पहली बार कुम्भ में एआई चैटबॉट ‘कुम्भ सहायक’ के उपयोग पर जोर दिया। यह चैटबॉट 11 भाषाओं में संवाद कर सकेगा। उन्होंने युवाओं के लिए फोटोग्राफी और अन्य प्रतियोगिताओं के आयोजन का सुझाव दिया, जिससे अध्यात्म और टेक्नोलॉजी का संगम हो सके।


विरासत और विकास पर फोकस

प्रधानमंत्री ने कहा कि डबल इंजन सरकार विकास के साथ-साथ विरासत को भी संरक्षित कर रही है। अयोध्या, काशी और उज्जैन जैसे तीर्थ स्थलों के विकास के बाद अब प्रयागराज के तीर्थ स्थलों और धार्मिक स्थलों का कायाकल्प हो रहा है।


महाकुम्भ: भारत की एकता का प्रतीक

प्रधानमंत्री ने कहा कि महाकुम्भ जैसे आयोजन देश को एकता और सांस्कृतिक विरासत का संदेश देते हैं। उन्होंने विश्वास जताया कि महाकुम्भ 2025 न केवल भारत के लिए ऐतिहासिक होगा, बल्कि पूरी दुनिया में इसकी चर्चा होगी।

प्रधानमंत्री ने महाकुम्भ की सफलता के लिए सभी को शुभकामनाएं दीं और इसे मानवता के कल्याण का अवसर बताया।

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