
वाराणसी। आज से पितृपक्ष की पावन शुरुआत हो रही है। सनातन परंपरा के अनुसार अगले 15 दिनों तक श्रद्धालु अपने पितरों के तर्पण और श्राद्ध कर्म करेंगे। मान्यता है कि इस अवधि में पूर्वज धरती पर अपने वंशजों के आह्वान से आते हैं और उन्हें जल तथा अन्न का अर्पण करने से संतुष्ट होकर आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
वाराणसी में पितृपक्ष का विशेष महत्व है। गंगा तट पर स्थित पिशाच मोचन कुंड समेत दशाश्वमेध, अस्सी, मणिकर्णिका और हरिश्चंद्र घाट पर प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु एकत्रित होंगे। पंडितों के मंत्रोच्चार और वैदिक विधियों के बीच पितरों के लिए तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध संस्कार संपन्न किए जाएंगे। गंगा स्नान कर तर्पण करने से पितरों की आत्मा को शांति और मोक्ष की प्राप्ति होने का विश्वास है।
पितृपक्ष के दौरान वाराणसी में दूर-दराज़ से श्रद्धालुओं के आने का सिलसिला शुरू हो गया है। घाटों और मंदिरों के आसपास विशेष व्यवस्थाएं की जा रही हैं। नगर निगम और प्रशासन की ओर से साफ-सफाई और सुरक्षा की पुख्ता तैयारी की गई है।
धार्मिक मान्यता के अनुसार पितृपक्ष में किया गया श्राद्ध न केवल पूर्वजों को तृप्त करता है, बल्कि परिवार के जीवन में सुख-समृद्धि और शांति भी लाता है। इसी कारण पितृपक्ष के 15 दिनों तक वाराणसी की गलियां और घाट श्रद्धा, भक्ति और आस्था से सराबोर रहती हैं।