पितृपक्ष: 19 सितंबर से प्रारंभ, प्रतिपदा का श्राद्ध 18 सितंबर को

वाराणसी(काशीवार्ता)।पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान का महत्वपूर्ण पक्ष, जिसे पितृपक्ष के नाम से जाना जाता है, इस वर्ष 19 सितंबर से आरंभ होगा। हालांकि, प्रतिपदा का श्राद्ध 18 सितंबर को संपन्न किया जाएगा। इस वर्ष, उदया तिथि के अभाव में द्वितीया तिथि की हानि हो रही है। महालया की शुरुआत भाद्रपद पूर्णिमा से होगी, और अश्विन अमावस्या तक श्राद्ध कर्म किए जाएंगे।

काशी के ज्योतिष के अनुसार, पितृपक्ष अश्विन कृष्ण पक्ष प्रतिपदा से 19 सितंबर को आरंभ हो रहा है, लेकिन प्रतिपदा का श्राद्ध 18 सितंबर को भाद्रपद पूर्णिमा में किया जाएगा। भाद्रपद पूर्णिमा 17 सितंबर को दिन में 11 बजे से शुरू होकर 18 सितंबर को सुबह 8 बजे तक रहेगी। इस दिन पूर्णिमा का व्रत 17 सितंबर को रखा जाएगा, लेकिन स्नान-दान 18 सितंबर को किए जाएंगे।

पूर्णिमा के बाद, मध्याह्नव्यापिनी महालया प्रारंभ होगी और इसके साथ ही पितृपक्ष के प्रतिपदा का श्राद्ध भी 18 सितंबर को ही किया जाएगा। 19 सितंबर को प्रतिपदा सुबह 6:17 बजे तक रहेगी। उदया तिथि के अभाव के कारण द्वितीया की हानि हो रही है, इसलिए द्वितीया का श्राद्ध 19 सितंबर को होगा।

शास्त्रों के अनुसार, चतुर्दशी तिथि पर केवल उन लोगों का श्राद्ध होता है, जिनकी मृत्यु शस्त्र, विष या दुर्घटना आदि से हुई हो। सामान्य मृत्यु वालों का श्राद्ध चतुर्दशी की बजाय अमावस्या तिथि में किया जाता है।

मध्याह्नव्यापिनी तिथि में श्राद्ध कर्म का महत्व

पितरों का श्राद्ध श्रद्धा और भक्ति भाव से अश्विन कृष्ण पक्ष में किया जाता है। यह माना जाता है कि इस काल में श्राद्ध करने से स्वास्थ्य, समृद्धि, आयु, सुख-शांति, वंशवृद्धि और उत्तम संतान की प्राप्ति होती है। ध्यान रखना आवश्यक है कि श्राद्ध के सभी कर्म अपराह्न काल, यानी मध्याह्नव्यापिनी तिथि में ही किए जाते हैं। उत्तर और दक्षिण भारत के लोगों में श्राद्ध की विधि और तिथि समान होती है।

श्राद्ध की प्रमुख तिथियां

इस वर्ष श्राद्ध की प्रमुख तिथियां निम्नलिखित हैं:

  • तृतीया: 20 सितंबर
  • चतुर्थी: 21 सितंबर
  • पंचमी: 22 सितंबर
  • षष्ठी: 23 सितंबर
  • सप्तमी: 24 सितंबर
  • अष्टमी: 25 सितंबर
  • नवमी: 26 सितंबर
  • दशमी: 27 सितंबर
  • एकादशी: 28 सितंबर
  • द्वादशी: 29 सितंबर
  • त्रयोदशी: 30 सितंबर
  • चतुर्दशी: 1 अक्तूबर
  • सर्वपितृ अमावस्या: 2 अक्तूबर

इन तिथियों पर पितरों का श्राद्ध श्रद्धा और विधिपूर्वक संपन्न किया जाएगा।

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