पितृ विसर्जन 21 को ,इस तरह करें तर्पण…

पितृ विसर्जन हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण अनुष्ठान माना जाता है। श्राद्ध पक्ष या पितृ पक्ष की समाप्ति पर पितरों के लिए जल या तर्पण अर्पित कर उनकी आत्मा की शांति और आशीर्वाद की प्राप्ति की जाती है। यह अनुष्ठान पूरी श्रद्धा और सही विधि से करने पर पितरों की कृपा घर-परिवार पर बनी रहती है।


पितृ विसर्जन का महत्व

पितृ विसर्जन का अर्थ है पितरों के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त कर उन्हें धन्यवाद देना। धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन विधिपूर्वक तर्पण, दान और ब्राह्मण भोजन कराने से पितर प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं। कहा जाता है कि पितरों की प्रसन्नता से जीवन में सुख-समृद्धि, स्वास्थ्य और संतति की वृद्धि होती है।

विसर्जन का सही दिन

पितृ पक्ष की समाप्ति के दिन, जिसे सर्वपितृ अमावस्या कहा जाता है, पितृ विसर्जन किया जाता है। यह दिन विशेष रूप से उन लोगों के लिए भी महत्वपूर्ण है जिन्हें अपने पितरों की मृत्यु तिथि ज्ञात नहीं है। इसी दिन पितरों को जल अर्पित कर तर्पण करने से सभी पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है।

पितृ विसर्जन की तैयारी

  • प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • घर में पवित्र स्थान पर पितरों के नाम से आसन स्थापित करें।
  • तांबे या पीतल के पात्र में जल लें और उसमें काला तिल, पुष्प एवं कुश मिलाएं।
  • तुलसी पत्ती का प्रयोग भी शुभ माना जाता है।

पितृ विसर्जन की विधि

  • सबसे पहले भगवान विष्णु और यमराज की प्रार्थना करें।
  • तर्पण विधि के लिए जल, तिल और कुश लेकर तीन बार “पितृ तर्पण” करें। जल को दक्षिण दिशा की ओर अर्पित करना चाहिए क्योंकि इसे पितरों की दिशा माना गया है।
  • इस दौरान पितरों का स्मरण करते हुए उनसे कृपा और आशीर्वाद की प्रार्थना करें।
  • तर्पण के बाद ब्राह्मणों या जरूरतमंदों को भोजन कराना और दान देना शुभ होता है।

पितरों को प्रसन्न करने के उपाय

  • गाय, कौवा और कुत्ते को भोजन खिलाना।
  • अनाथ, गरीब या किसी जरूरतमंद को भोजन और वस्त्र दान करना।
  • श्रीमद्भगवद गीता या विष्णु सहस्रनाम का पाठ करना।
  • पीपल के वृक्ष की पूजा कर जल अर्पित करना भी पितरों को प्रसन्न करने का सर्वश्रेष्ठ उपाय है।

पितृ विसर्जन में सावधानियां

  • इस दिन मांस, शराब और तामसिक भोजन से दूर रहें।
  • किसी का अनादर न करें और क्रोध से बचें।
  • तर्पण और श्राद्ध कार्य को श्रद्धा व शुद्ध मन से करना आवश्यक है।

पितृ विसर्जन केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि अपने पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का अवसर है। श्रद्धा और नियम से किया गया यह कार्य परिवार में सकारात्मक ऊर्जा और पितरों के आशीर्वाद का संचार करता है।

नोट:यह लेख धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है।

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