पीड़ित महिलाओं व बच्चियों के उत्थान के लिए लगातार प्रयासरत है भारतीय मूल की पारूल शर्मा

पीड़ित महिलाओं व बच्चियों के उत्थान के लिए लगातार प्रयासरत

भारतीय मूल की पारूल शर्मा स्वीडन की एक जानी मानी अधिवक्ता, जिन्हें कई अन्तराष्ट्रीय पुरस्कार मिला

वाराणसी (काशीवार्ता)। पारुल शर्मा स्वीडन में एक ऐसा जाना-पहचाना चेहरा जो देश की प्रभावशाली अधिवक्ता में से एक हैं। अपने कार्यों पर ध्यान केंद्रित करने वाली मानवाधिकार अधिवक्ता पारुल द एकेडमी फॉर ह्यूमन राइट्स इन बिजनेस एंड चेयर, एमनेस्टी इंटरनेशनल स्वीडन में सीईओ हैं। कानून हो या मानवाधिकार पारुल का ध्यान हमेशा मानव-केंद्रित रहा है। स्टॉकहोम विश्वविद्यालय से कानून पढ़ाई के पश्चात लंदन से मास्टर डिग्री ली। 2017 में पारुल को वित्तीय बाजार व उपभोक्ता मामलों के मंत्री के बाद स्वीडन में दूसरी सबसे प्रभावशाली नेता का दर्जा दिया गया।

पारुल का जन्म स्टॉकहोम स्वीडन में भारतीय मूल के अनीता शर्मा व शशिकांत शर्मा के घर हुआ। इनके माता-पिता 1970 के दशक में जालंधर से स्वीडिश आये और यहां की नागरिकता ले ली। पारुल बताती हैं कि हमारी भाषा पंजाबी व हिंदी हैं और हमारी परवरिश भारतीय संस्कृति के परिवेश में हुई इसके लिए पारूल अपनी मां का धन्यवाद देती हैं कि उनका लालन-पालन भारतीय परिवेश के अनुसार उन्होंने किया।

भारतीय मूल की स्वीडिश अधिवक्ता भारत मे वाराणसी के सामाजिक कार्यकर्ता डॉ.लेनिन रघुवंशी व श्रुति रघुवंशी की संस्था जनमित्र न्यास मानवाधिकार जननिगरानी समिति के साथ मिलकर पीड़ित महिलाओं व बच्चियों के उत्थान के लिए लगातार कार्य कर रही हैं। राजदुलारी फाउंडेशन व लगभग दो सौ स्वीडिश डोनर्स की मदद से 85 लड़कियों को साइकिल 650 लड़कियों को छात्रवृत्ति, सिंचाई के वाराणसी के अनेई व जौनपुर के सकरा में ट्यूबवेल व बघवा नाला के पास पीने के पानी के लिए सबमर्सिबल के साथ ही लिये सोनभद्र के रौप गांव में 8 हजार लीटर की पानी टंकी व ट्यूबवेल का निर्माण कराया जिससे लोगों को शुद्ध पेयजल मिल सके। 10 हजार से अधिक फलदार पौधरोपण व जिला जेल वाराणसी में कैदियों को ऊनि वस्त्र व सिलाई मशीन का वितरण किया।

कोविड-19 में लॉक डाउन के दौरान मोबाइल किचेन के माध्यम से पहुंचाई राहत

कोविड-19 में लॉक डाउन के दौरान मुसहर परिवारों के लिए जनमित्र न्यास मानवाधिकार जननिगरानी समिति के साथ मिलकर पारुल शर्मा ने लगभग 950 घर के प्रत्येक सदस्य के लिए दूध, अंडा, ब्रेड, गुड़ व खिचड़ी का प्रबंध किया। मोबाइल किचेन के माध्यम से सभी परिवारों तक खाने की सामग्री पहुंचाना व उनके इम्युनिटी को मजबूत बनाये रखने के लिए पौष्टिक आहार प्रदान किया गया। स्वीडन मूल की पारूल आज भी हिंदुस्तान में गरीबों व मुसहर समुदाय के लोगों को न्याय दिलाने के लिए प्रयासरत हैं। जिसमें उनका पूरा सहयोग समाजसेवी डॉ.लेनिन रघुवंशी व श्रुति रघुवंशी कर रहे हैं।

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