
वाराणसी, जिसे मोक्ष नगरी काशी के नाम से जाना जाता है, वहां पितृपक्ष के दौरान पितरों का तर्पण और श्राद्ध सदियों से चली आ रही परंपरा है। लेकिन समय के साथ इस परंपरा का स्वरूप भी बदल रहा है। अब काशी में ऑनलाइन माध्यम से भी पितरों का तर्पण किया जा रहा है।
पितृपक्ष के अवसर पर 21 सितंबर तक वाराणसी के पिशाच मोचन कुंड पर पिंडदान और तर्पण कराने वालों की भारी भीड़ उमड़ रही है। जहां एक ओर लोग स्वयं उपस्थित होकर परंपरागत तरीके से श्राद्ध कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर तकनीक ने इस धार्मिक अनुष्ठान को नई दिशा दे दी है। कई पंडित अब मोबाइल फोन और ट्राईपॉड के माध्यम से वीडियो कॉल पर पूजा करा रहे हैं।
अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और अन्य देशों में बसे भारतीय परिवार सीधे वीडियो कॉल से काशी के पंडितों के साथ जुड़कर अपने पितरों का तर्पण करा रहे हैं। इस दौरान पंडित मंत्रोच्चारण करते हैं और यजमान स्क्रीन पर दिखाई देते हैं। मोबाइल कैमरे के जरिए पूरे विधि-विधान के साथ तर्पण की प्रक्रिया कराई जाती है।
काशी में यह ऑनलाइन तर्पण व्यवस्था उन प्रवासी भारतीयों के लिए बड़ी सुविधा साबित हो रही है, जो दूर रहते हुए भी अपनी परंपरा और पितृ ऋण से जुड़े रहना चाहते हैं। परंपरा और आधुनिकता का यह संगम काशी की आध्यात्मिकता को और व्यापक बना रहा है।