मुख्यमंत्री के आदेश का भी नहीं होता असर, सीयूजी नंबर है बस नाम के
बिना दबाव के नहीं दर्ज होता थाने पर मुकदमा, तहसीलों में महीनों लटका रहता है किसानो का मामला
वाराणसी(काशीवार्ता)। खबर यह नही कि जनप्रतिनिधि जनता का काम नहीं करते, बल्कि ये है कि या अधिकारी इनकी एक नहीं सुनते।किसी रास्ता चलते व्यक्ति को किसी ने पीट दिया और थाने पर जनप्रतिनिधि के कहने पर भी मुकदमा दर्ज न हो, तो आप क्या कहेंगे। हालांकि, पहले ऐसा नहीं था। लेकिन आज स्थिति यह है कि अधिकारी जनप्रतिनिधियों तक का फोन रिसीव करना गवारा नहीं समझते। पिछले दिनों मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को कहना पड़ा कि अधिकारियों को विधायक-मंत्रियों की बात सुननी पड़ेगी।
जनता के सेवक जनप्रतिनिधि जनता के लिए हर वक्त उपलब्ध रहते है लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि अधिकारी ऐसा क्यों नहीं करते। क्योंकि, उन्हें आपने अपना बहुमूल्य वोट देकर नहीं चुना है। खैर, आपने जिसे चुना है उसकी भी न सुने तो आप कहाँ जाएँगे ? समय पर कार्य न होने के कारण आज आमजन को बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। बेलगाम और सुविधाभोगी कल्चर को खत्म करने के किए सरकार ने काफी कुछ ऑनलाइन कर दिया है , फिरभी आम जन को दफ्तरों के चक्कर लगाने से छुटकारा नहीं मिल रहा।क्योंकि, कोई है जो नहीं चाहता कि जनता का काम बिना कार्यालय का चक्कर काटे न हो। अब इस चक्कर में आपके चप्पल भी घिस जाए तो अपनी बला से। सरकार के आदेश की अवहेलना करते हुए अधिकांश सरकारी विभाग अपने दायित्व को पूरा नहीं कर रहे है। जबकि, जनता से संवाद कायम रखना इनका पहला कर्तव्य का होता है, लेकिन आज तहसील स्तर से लेकर जिला और पुलिस प्रशासन तक यही हाल है। अधिकारी फोन नहीं उठाते। चाहे नेता डायल करे या जनता। इनका सीयूजी नंबर सिर्फ नाम का है। आला अधिकारी भी इस मामले में किसी से कम नहीं। वे अनजान नंबर पर तो बिल्कुल भी बात करना नहीं चाहते।
क्या कहते है जनप्रतिनिधि
सत्ता पक्ष हो चाहे विपक्ष किसी भी जनप्रतिनिधि का फोन न उठाने का निर्देश अधिकारियों को भाजपा के शीर्ष नेताओं ने ही दिया है।यह कहीं से भी स्वस्थ लोकतांत्रिक परंपरा नहीं है। अधिकारी चाहे किसी का फोन आवे उसे जरूर उठाये।उसे जनता के काम के लिए ही नियुक्त किया जाता है।रह गई बात जनप्रतिनिधि की तो वे अपने काम के लिए कभी फोन नहीं करता।
मनोज राय “धूपचंडी”
पूर्व राज्य मंत्री, प्रवक्ता
इस संबंध में एमएलसी हंसराज विश्वकर्मा का कहना है कि मुख्यमंत्री का सख्त निर्देश है किसी जनप्रतिनिधियों का हो या आम जनता का अधिकारी सभी का फोन रिसीव करे।अधिकारियों को इसका ख्याल रखना चाहिए। साथ ही जनप्रतिनिधियों के माध्यम से आ रही जनसमस्याओं का प्राथमिकता के आधार पर
निराकरण करना चाहिए।
हंसराज विश्वकर्मा
एमएलसी/ भाजपा जिलाध्यक्ष
वाराणसी