मां भगवती को चढायें यह भोग होंगी सभी इच्छायें पूरी

मां भगवती या देवी दुर्गा की पूजा भारतीय संस्कृति में अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान रखती है। मां भगवती को शक्ति की देवी माना जाता है, जो संसार की समस्त शक्तियों का आधार हैं। उनके चरणों में भक्ति अर्पण करना और उन्हें भोग लगाना एक महत्वपूर्ण धार्मिक क्रिया मानी जाती है। भोग लगाना न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि इसे देवी की कृपा पाने का भी महत्वपूर्ण माध्यम माना जाता है। भक्तजन मां भगवती को भोग अर्पण कर उनसे अपनी सभी इच्छाओं की पूर्ति की कामना करते हैं।

मां भगवती का महत्व

मां भगवती को शक्ति, ज्ञान और समृद्धि की देवी माना जाता है। हिंदू धर्म के अनुसार, मां भगवती दुर्गा के नौ रूप होते हैं, जिन्हें ‘नवदुर्गा’ कहा जाता है। नवरात्रि के पर्व पर नौ दिनों तक मां दुर्गा के विभिन्न रूपों की पूजा की जाती है और उन्हें भोग लगाया जाता है। मां दुर्गा को भोग अर्पित करने से व्यक्ति की मनोकामनाएं पूरी होती हैं और उसे सुख, शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है।

भोग का तात्पर्य केवल भोजन नहीं होता, बल्कि यह भक्ति, समर्पण और आस्था का प्रतीक होता है। जिस प्रकार एक भक्त मां को अर्पित करता है, वह उसकी श्रद्धा को दर्शाता है। यह भोग केवल शारीरिक तृप्ति के लिए नहीं है, बल्कि इसे आत्मिक सुख की प्राप्ति के लिए अर्पित किया जाता है।

भोग और उसकी महत्ता

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जब मां भगवती को भोग लगाया जाता है, तो वह उस भोजन को अपने आशीर्वाद से सम्पन्न करती हैं और इसे प्रसाद के रूप में भक्तों को लौटाती हैं। इस प्रसाद का सेवन करने से न केवल शरीर को बल मिलता है, बल्कि आत्मा को भी शांति मिलती है। भोग लगाने का उद्देश्य केवल अपनी इच्छाओं की पूर्ति नहीं होता, बल्कि यह व्यक्ति के भीतर की अशांति और असंतोष को समाप्त करने का भी माध्यम है।

मां भगवती के भोग में विभिन्न प्रकार की मिठाइयाँ, फल, सूखे मेवे, और कभी-कभी हलवा, खीर, लड्डू आदि शामिल होते हैं। हर भक्त अपनी क्षमता और श्रद्धा के अनुसार मां को भोग अर्पित करता है। यह भोग मां को प्रसन्न करने का एक माध्यम है। जब भक्त सच्चे मन से मां को भोग अर्पित करता है, तो मां उसकी समस्त इच्छाओं को पूरा करती हैं और उसे आशीर्वाद देती हैं।

भोग और मनोकामनाएं

मान्यता है कि जब मां भगवती को श्रद्धा और भक्ति से भोग लगाया जाता है, तो वह अपने भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करती हैं। चाहे वह आर्थिक समस्याओं का समाधान हो, शारीरिक कष्टों का निवारण हो, या फिर मानसिक शांति की प्राप्ति, मां भगवती की कृपा से सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं। भोग लगाने का वास्तविक अर्थ है—अपने मन को शुद्ध करना और उसे देवी के चरणों में समर्पित करना। इस समर्पण के साथ जब भोग अर्पित किया जाता है, तो देवी की कृपा से जीवन की हर समस्या का समाधान संभव हो जाता है।

कहते हैं कि भोग लगाने से भक्त का मन शांत होता है और उसे आत्मिक संतुष्टि मिलती है। जब भक्त मां भगवती को अपने हाथों से बनाया हुआ भोग अर्पित करता है, तो उसमें उसकी भावनाएं, उसका समर्पण और उसकी श्रद्धा शामिल होती है। यह भावना ही मां भगवती को प्रसन्न करती है और उनकी कृपा से भक्त की सारी इच्छाएं पूर्ण होती हैं।

भोग के माध्यम से आत्मिक उन्नति

भोग केवल इच्छाओं की पूर्ति का साधन नहीं है, बल्कि यह आत्मिक उन्नति का भी मार्ग है। मां भगवती को भोग अर्पित करने से व्यक्ति के भीतर सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। जब व्यक्ति भक्ति और समर्पण की भावना से मां को भोग लगाता है, तो उसकी आत्मा में शांति और संतुलन का अनुभव होता है। भोग लगाते समय ध्यान की अवस्था में रहने से मन की नकारात्मकता दूर होती है और व्यक्ति के भीतर आध्यात्मिक जागृति होती है।

मां भगवती के चरणों में भोग अर्पित करना एक पवित्र अनुष्ठान है, जो व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाता है। यह धार्मिक क्रिया व्यक्ति को न केवल शारीरिक और मानसिक लाभ प्रदान करती है, बल्कि उसे आध्यात्मिक दृष्टिकोण से भी उन्नत करती है। मां भगवती के भोग से व्यक्ति को आत्मिक तृप्ति और संतोष प्राप्त होता है, जिससे उसकी सभी इच्छाएं पूरी होती हैं।

मां भगवती को भोग लगाना भारतीय धार्मिक परंपराओं में अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह केवल एक धार्मिक कृत्य नहीं है, बल्कि यह व्यक्ति के मन की शुद्धि, आत्मिक उन्नति, और इच्छाओं की पूर्ति का माध्यम है। मां भगवती को भोग अर्पित करने से व्यक्ति को उनके आशीर्वाद की प्राप्ति होती है, जिससे जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का मार्ग प्रशस्त होता है।

TOP

You cannot copy content of this page