यूपी के ईको टूरिज्म से सीखेंगे नेपाल के अफसर

मानव-वन्य जीव संघर्ष कम करने को भारत-नेपाल का संयुक्त प्रयास

लखनऊ, 27 नवंबर:
उत्तर प्रदेश में ईको टूरिज्म के क्षेत्र में तेजी से प्रगति हो रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में पर्यटन को रोजगार के साथ जोड़कर इसे जनसामान्य के लिए लाभकारी बनाया जा रहा है। इसी कड़ी में बुधवार को चूका ईको टूरिज्म स्पॉट पर इंडो-नेपाल ट्रांस बॉर्डर को-ऑर्डिनेशन इवेंट फॉर बॉयोडायवर्सिटी कंजरवेशन का आयोजन हुआ। इस इवेंट में भारत और नेपाल के वन विभागों और प्रशासनिक अधिकारियों ने भाग लिया।

नेपाल के अफसर यूपी के ईको टूरिज्म मॉडल से सीख लेकर इसे अपने देश में भी लागू करने की योजना बना रहे हैं। पर्यटन को बढ़ावा देने और मानव-वन्य जीव संघर्ष को कम करने के लिए दोनों देशों ने संयुक्त प्रयासों पर चर्चा की।

एसएसबी संग जागरूकता अभियान चलाएगा वन विभाग

उत्तर प्रदेश वन विभाग ने बॉर्डर क्षेत्र में सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) के साथ मिलकर जागरूकता अभियान चलाने की योजना बनाई है। इसका उद्देश्य मानव-वन्य जीव संघर्ष को कम करना और वन्य जीवों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है। पीलीभीत टाइगर रिजर्व के प्रभागीय वनाधिकारी मनीष सिंह ने बताया कि दोनों देश संयुक्त गश्त, वन्य जीव मॉनीटरिंग और सूचना साझा करने पर जोर देंगे। टाइगर, तेंदुआ, हाथी और गैंडे जैसे वन्य जीवों की गतिविधियों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।

लग्गाबग्गा कॉरिडोर प्रबंधन पर चर्चा

भारत-नेपाल के अधिकारियों के बीच लग्गाबग्गा कॉरिडोर प्रबंधन को लेकर भी गहन चर्चा हुई। यह क्षेत्र टाइगर मूवमेंट के लिए अहम है। वन्यजीवों की सुरक्षा और मानव-वन्य जीव संघर्ष को कम करने के लिए संयुक्त रणनीति बनाई गई। स्थानीय समुदायों की भागीदारी और उच्च स्तरीय बैठकों के माध्यम से वन्य जीव संरक्षण को सशक्त बनाने के प्रयास किए जाएंगे।

संरक्षण और पर्यटन में सहयोग पर सहमति

इवेंट में नेपाल के कंचनपुर के डीएफओ राम बिचारी ठाकुर, शुक्ला फाटा राष्ट्रीय निकुंज के चीफ वार्डन मनोज के. शाह और भारत के पीलीभीत टाइगर रिजर्व के डीएफओ मनीष सिंह समेत अन्य अधिकारियों ने भाग लिया। दोनों देशों के बीच पर्यावरण संरक्षण, पर्यटन को बढ़ावा देने और बॉर्डर क्षेत्र में सामुदायिक सहभागिता को प्रोत्साहित करने पर सहमति बनी।

यह प्रयास भारत और नेपाल के बीच न केवल पर्यटन और रोजगार को बढ़ावा देगा, बल्कि जैव विविधता संरक्षण में भी मील का पत्थर साबित होगा।

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