मुंशी प्रेमचंद की कहानियां आज भी हैं प्रासंगिक : प्रो.श्रद्धानंद

वाराणसी (काशीवार्ता)। हिन्दी साहित्य के महान रचनाकार मुंशी प्रेमचंद की रचनाएं भारतीय जनमानस के लिए हमेशा मार्गदर्शक और प्रेरणास्रोत रही हैं। साहित्य की लगभग सभी विधाओं में लिखने के बावजूद प्रेमचंद को जितनी लोकप्रियता और ख्याति उनकी कहानियों से मिली, वह अन्य विधाओं में संभव नहीं हो सकी। उनकी कहानियों ने पाठकों को न केवल मनोरंजन प्रदान किया, बल्कि सामाजिक चेतना और ज्ञानवर्धन का भी कार्य किया। यही कारण है कि उनका साहित्य आज भी उतना ही प्रासंगिक है जितना उनके समय में था। यह विचार संस्कृति विभाग और जिला प्रशासन की प्रेरणा से मुंशी प्रेमचंद मार्गदर्शन केंद्र ट्रस्ट, लमही द्वारा प्रेमचंद स्मारक लमही में आयोजित दैनिक कार्यक्रम सुनो मैं प्रेमचंद के 1665 दिन पूरे होने पर आयोजित विशेष कार्यक्रम में संस्था के संरक्षक प्रो.श्रद्धानंद ने व्यक्त किए। इस अवसर पर कवयित्री डॉ.संगीता श्रीवास्तव ने प्रेमचंद की कहानी ‘उन्माद’ का पाठ किया। सम्मान प्रो. श्रद्धानंद, संस्था के निदेशक राजीव गोंड और डॉ. संजय श्रीवास्तव ने किया। इस दौरान सूर्यदीप कुशवाहा, राहुल यादव, अवंति दूबे, चंदन, विवेक, आदित्य राय, अजय यादव, रामजी सिंह, मेवालाल श्रीमाली, राहुल विश्वकर्मा, देव बाबू, प्रांजल कुमार सहित सहित बड़ी संख्या में साहित्य प्रेमी मौजूद रहे। अतिथियों का स्वागत डॉ.संजय श्रीवास्तव ने, संचालन आयुषी दूबे ने व धन्यवाद ज्ञापन मनोज विश्वकर्मा ने किया।

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