फ्लैट मालिक पूर्व मंत्री का करीबी, दो सांसदों का नजदीकी भी खेल में शामिल
आरोपी इंस्पेक्टर व अपने को मुख्यमंत्री का ओएसडी बताने वाला दलाल
वाराणसी (काशीवार्ता)। जुए के फड़ से रुपए लूटने के मामले में भले ही सारनाथ थाने में पूर्व इंस्पेक्टर परमहंस गुप्ता व धर्मेन्द्र चौबे के खिलाफ मुकदमा दर्ज हो गया है, लेकिन अभी भी पूरे प्रकरण में पुलिस जमीनी हकीकत से कोसों दूर है। रुपये अभी तक बरामद नहीं किये गए हैं। जुआ पहड़िया के जिस फ्लैट में चल रहा था, पुलिस अभी तक उसके मालिक से भी पूछताछ नही कर पाई है। चर्चा है कि फ्लैट का मालिक गाजीपुर के सपा के पूर्व काबीना मंत्री व वर्तमान विधायक का करीबी है। चर्चा यह भी है कि जिस फड़ पर जुआ चल रहा था उसकी गिनती बनारस के बड़े अड्डों में शुमार है। यहां रईशों की जुटान होती है। जिस दिन रुपये लुटे गए, उस दिन भी वहां शहर के नामचीन व्यापारियों के रईसजादों की किस्मत दांव पर लग रही थी। आधुनिक युग में समय के साथ-साथ अपराध का तरीका भी बदल गया है। पहले जहां फिरौती के लिए अपहरण होता था, गुण्डा टैक्स वसूला जाता था वहीं अब डिजिटल युग में साइबर ठगी के साथ ही व्यापारी को फंसा पुलिस के साथ मिलकर वसूली का नया खेल चल रहा है। प्रदेश में ऐसी कई घटनाएं हो चुकी है, वाराणसी में भी लगातार ऐसी घटनाएं सामने आ रही है जिसमे लूट सिर्फ व्यापारी से ही हो रही है और पुलिस लुटेरों से मिली है। शहर में एक बात की और चर्चा है कि बरामद रकम करोड़ में है। रात में जिस समय रुपये लुटे गए थे उस समय फड़ पर जीत हार के अलावा भी मौजूद लोगों के पास जितनी धनराशि थी, सब समेट लिया गया था, बताते है कि मौके पर व्यापारियों को रुपए देने के लिए एक ऐसे सख्स की भी मौजदूगी थी जो मांग पर तुरंत लाखों रुपए उपलब्ध करा सकता था। पूरे घटना क्रम में एक ऐसे व्यक्ति के भी नाम की चर्चा है जो भाजपा के दो भोजपुरी सुपर स्टार से सांसद बने नेताओ का करीबी है। बताते है कि सारनाथ इलाके के इस नेता की भी इसमें बड़ी भूमिका रही। चर्चा है कि लूटी गई रकम एक करोड़ से अधिक है जिसका खुलासा परमहंस गुप्ता ही कर सकते है। इज्जत की खातिर फड़ पर मौजूद कोई भी व्यापारी सामने आने को तैयार नही है, जिससे रकम की असली राशि का खुलासा मुश्किल लगता है फिलहाल सबकी गिरफ्तारी व पुलिस की कड़ाई से पूछताछ पूरे प्रकरण से पर्दा हटा सकती है।
ऐसे पुलिसकर्मियों पर लगाम की जरूरत
हाल के घटनाक्रमों को देखने से यही लगता है कि पुलिस विभाग में कुछ मुट्टी भर लोगो की पैसा कमाने की चाहत पूरे विभाग को बदनाम कर रही है। ऐसी घटनाओं में फौरी कार्रवाई में पुलिस वाला निलम्बित तो जरूर हो जाता है लेकिन उस तरह की कार्रवाई नही हो पाती जो नजीर बन सके और जैसी अपराधियों के खिलाफ होती है। जुर्म करने वाला अपराधी ही होता है, चाहे वो किसी भी पेशे से जुड़ा हो। कार्रवाई में भिन्नता नही होनी चाहिए। कठोरतम कार्रवाई से ही नजीर बनेगी वर्ना सुधारना नामुमकिन है।
लूट के असल रुपये बरामद कर पुलिस बचा सकती है साख
चर्चा है कि अभी तक लूट की जो रकम सामने आई है। वो सही नहीं है। फड़ से 1 करोड़ से ज्यादा का कैश बैग में रखकर दोनों नामजद ले गए हैं। हालांकि अभी तक इसकी कोई अधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है लेकिन बात फड़ से उठी है तो दूर तक पहुंचेगी ही। यही समय है पुलिस इस प्रकरण में लूटे गए सारे रुपये बरामद कर अपनी ईमानदारी की मिशाल पेश कर सकती है। फिलहाल, अभी तक पुलिस को कोई खास सफलता हाथ नहीं लग सकी है।