महाकुंभ नगर, 12 जनवरी। महाकुंभ प्रयागराज का मेला परिसर न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि सामाजिक संदेशों के प्रचार-प्रसार का भी एक प्रमुख माध्यम बन गया है। इस बार मेले में शाकाहार के महत्व को जोर-शोर से प्रस्तुत किया गया। साथ ही, पूर्वोत्तर भारत के संतों के शिविर के उद्घाटन ने विविध सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पहलुओं को उजागर किया।
शाकाहारी फेरी का आयोजन
महाकुंभ क्षेत्र में बाबा जय गुरुदेव के संगत प्रेमियों द्वारा आयोजित शाकाहारी फेरी ने सभी का ध्यान आकर्षित किया। यह आयोजन स्नान पर्व से ठीक एक दिन पहले हुआ। इस फेरी में संगत प्रेमियों ने “बाबा जी का कहना है, शाकाहारी रहना है” जैसे नारे लगाते हुए श्रद्धालुओं को शाकाहार अपनाने के लिए प्रेरित किया।
फेरी के दौरान श्रद्धालुओं से हाथ उठाकर शाकाहारी बनने का समर्थन मांगा गया। बड़ी संख्या में उपस्थित लोगों ने शाकाहार के संदेश का समर्थन किया और इसके महत्व को समझने का प्रयास किया। संगत प्रेमियों ने मानवता के कल्याण, महामारी और बीमारियों से बचाव के लिए मांसाहार छोड़ने और शाकाहार अपनाने की अपील की।
इस अभियान में प्रोफेसर ओ.पी. गर्ग समेत कई प्रमुख व्यक्तियों और संगत प्रेमियों ने भाग लिया। यह प्रयास लोगों के बीच शाकाहारी जीवनशैली की जागरूकता बढ़ाने का माध्यम बना।
पूर्वोत्तर संतों के शिविर का उद्घाटन
महाकुंभ मेले में पहली बार पूर्वोत्तर भारत के संतों के शिविर का आयोजन किया गया, जिसे प्राग ज्योतिषपुर शिविर के नाम से जाना गया। रविवार को उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री नंद गोपाल गुप्ता ‘नंदी’ ने इसका उद्घाटन किया।
इस शिविर में पूर्वोत्तर के सभी राज्यों के संत, सत्राधिकार, और कलाकार हिस्सा ले रहे हैं। उद्घाटन समारोह में महामंडलेश्वर स्वामी श्री केशव दास जी महाराज (योगाश्रम बिहलांगिनी, असम), विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के संरक्षक दिनेश चंद्र और अन्य कई प्रमुख व्यक्तियों के साथ श्रद्धालुओं की बड़ी संख्या उपस्थित रही।
मंत्री नंद गोपाल गुप्ता नंदी ने इस आयोजन में पूर्वोत्तर के संतों की भागीदारी की प्रशंसा की और इसे कुम्भ मेले की विविधता और एकता का प्रतीक बताया। महामंडलेश्वर स्वामी श्री केशव दास जी महाराज ने कहा कि यह पहली बार है जब पूर्वोत्तर के सत्र इतनी बड़ी संख्या में कुम्भ मेले का हिस्सा बने हैं।
इस शिविर का उद्देश्य न केवल पूर्वोत्तर की आध्यात्मिक परंपराओं को प्रदर्शित करना है, बल्कि भारत के अन्य हिस्सों के श्रद्धालुओं को उनकी संस्कृति और परंपराओं से परिचित कराना भी है। शिविर में धार्मिक प्रवचन, सांस्कृतिक कार्यक्रम और योग सत्र आयोजित किए जा रहे हैं, जो श्रद्धालुओं को विशेष रूप से आकर्षित कर रहे हैं।
महाकुंभ: संदेश और एकता का संगम
महाकुंभ का यह आयोजन न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र बना, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक संदेशों को एक नई दिशा भी दी। शाकाहार के प्रचार और पूर्वोत्तर संतों की उपस्थिति ने इस महाकुंभ को विशेष बना दिया। यह आयोजन देशभर से आए श्रद्धालुओं के लिए आस्था और संदेशों का संगम साबित हो रहा है।