मांगी नाव न केवट आना कहई तुम्हार मरमु मैं जाना,लाट भैरव की रामलीला राम घंडईल पार का मंचन धनेसरा तालाब बनी गंगा

दुर्गम मार्ग से होते गंगापार हुए राम लक्ष्मण जानकी

प्रभु चरणों की महिमा बड़ी भारी है।आपके चरणकमलों के प्रताप से पत्थर की अहिल्या स्त्री बन आकाश में उड़ गयी।फिर हमारी नैय्या तो काठ की हैं।कहीं ये भी चरणरज का स्पर्श पाकर स्त्री बन जाए तो।नहीं स्वामी नहीं बिना इन चरणों को धोए चरणामृत का पान किए हम नाव पर नहीं चढ़ाएंगे।

श्री राम की पुकार पर केवट ने भक्तिरस से पगी मधुरवाणी बोल जगदाधार राम को अपना बना लिया।श्री आदि रामलीला लाटभैरव वरुणा संगम काशी की प्राचीन रामलीला में शुक्रवार को धनेसरा तालाब पर घंडईल पार की लीला का मंचन हुआ।

भक्तिभाव से सराबोर वातावरण में दुर्गम मार्गों से होते हुए श्रीरामजानकी लक्ष्मण ने गंगापार किया।आगे मुनी भारद्वाज के आश्रम में आशीर्वाद प्राप्त कर उनके निर्देश पर चित्रकूट प्रस्थान करते हैं।परम् सुख के धाम राम के दर्शन से कोलभील स्वयं के जीवन को धन्य कर रहें हैं।उधर अयोध्या में राजा दशरथ का पुत्र वियोग में प्राणांत हो जाता है।परंपरानुसार आरती के बाद लीला को विश्राम दिया गया।अगले दिन भरत अयोध्यावासियों संग वन को प्रस्थान करेंगे।

इस अवसर पर समिति की ओर से व्यास दयाशंकर त्रिपाठी, सहायक व्यास पंकज त्रिपाठी, प्रधानमंत्री कन्हैयालाल यादव, केवल कुशवाहा, संतोष साहू, श्यामसुंदर, मुरलीधर पांडेय, रामप्रसाद मौर्य, गोविंद विश्वकर्मा, शिवम अग्रहरि, आकाश साहनी, मुनील, ओमप्रकाश प्रजापति, जयप्रकाश राय, महेंद्र सिंह, कामेश्वर आदि रहें।

शिवम अग्रहरि ✍🏻

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