Mahesh Navami Date 2024: जून में इस दिन मनाई जाएगी महेश नवमी, जान लें डेट, मुहूर्त और महत्व

भगवान शिव को महेश के नाम से भी जाना जाता है। महेश नाम से ही माहेश्वरी समाज का नामकरण हुआ है। यही कारण है कि हर साल ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि पर महेश नवमी मनाई जाती है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विशेष पूजा-अर्चना करने से जीवन में सुख, शांति, धन और सौभाग्य में बढ़ोत्तरी का वरदान प्राप्त होता है। इस दिन को विशेषकर माहेश्वरी समाज धूमधाम से मनाता है। मान्यता है कि महेश नवमी के दिन भगवान शिव की पूजा करने से हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है।

भगवान शिव के महेश नाम से माहेश्वरी समाज का नाम पड़ा था। माहेश्वरी समाज में महेश नवमी का बड़ा महत्व रखता है। भगवान शिव के सभी भक्त इस दिन भगवान महेश को प्रसन्न करने के लिए उनकी आराधना करते हैं। महेश नवमी का पावन दिन माहेश्वरी समाज में माहेश्वरी वंशोत्पत्ति दिन के रूप में विशाल स्तर पर मनाया जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव और माता पार्वती को माहेश्वरी समाज का संस्थापक माना जाता है। साल 2024 में महेश नवमी कब मनाई जाएगी और इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त कब रहेगा, आइए इसके बारे में आइए विस्तार से जानते हैं।

महेश नवमी 2024 डेट, तिथि और पूजा मुहूर्त
महेश नवमी का पर्व हर साल ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाता है। इस साल 2024 में महेश नवमी 15 जून को है। शुभ मुहूर्त में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करना हितकारी होता है।

ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि का आरंभ- 14 जून की रात 12 बजकर 5 मिनट से हो जाएगा।
ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि की समाप्ति- 15 जून देर रात 2 बजकर 34 मिनट तक होगी।
ऐसे में उदयातिथि की मान्यता के अनुसार महेश नवमी 15 जून को ही मनाई जाएगी।
महेश नवमी पूजा शुभ मुहूर्त- 15 जून मुहूर्त सुबह 7 बजकर 8 मिनट से 8 बजकर 53 मिनट तक रहेगा।

क्यों मनाई जाती है महेश नवमी ?
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, महेश नवमी के दिन भगवान महेश और माता पार्वती ने ऋषियों के श्राप से पत्थर हो चुके 72 क्षत्रियों को श्रापमुक्त किया। इसके बाद माता पार्वती ने श्रापमुक्त हुए उन सभी क्षत्रियों को आशीर्वाद दिया कि तुम्हारे कुल पर हमारी छाप रहेगी और तुम्हारा वंश माहेश्वरी के नाम से जाना जाएगा।

भगवान महेश व माता पार्वती के आशीर्वाद से उन क्षात्रियों को पुनर्जीवन मिला और माहेश्वरी समाज का उद्भव हुआ, इसलिए माहेश्वरी समाज में महेश नवमी के दिन भगवान शिव की पूजा आराधना का बड़ा महत्व माना जाता है। शिवभक्त इस दिन महेश वंदना गायन करते हैं और शिव मंदिरों में जाकर भगवान महेश की महाआरती की जाती है। ऐसा कहा है कि इस दिन भगवान शिव के महेश रूप की आराधना करने से सभी दुख और विपदाओं से मुक्ति मिल जाती है।

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