धर्म, आस्था और अध्यात्म का महाकुंभ: स्वर्वेद ज्ञान महायज्ञ सम्पन्न

उमरहाँ गाँव में गूंजे स्वर्वेद महामंदिर के जयघोष
25,000 कुण्डीय महायज्ञ से सुवासित हुआ वातावरण

वाराणसी(काशीवार्ता)।उमरहाँ स्थित स्वर्वेद महामंदिर धाम के पवित्र प्रांगण में आयोजित विहंगम योग संत समाज के शताब्दी समारोह के अवसर पर तीन दिवसीय 25,000 कुण्डीय स्वर्वेद ज्ञान महायज्ञ का भव्य समापन हुआ। इस महायज्ञ में देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु पहुंचे और व्यष्टिगत व समष्टिगत कामनाओं की पूर्ति हेतु यज्ञ-कुण्डों में आहुतियाँ प्रदान कीं।

सद्गुरु का संदेश: भक्ति का चेतन पथ अपनाएं

महायज्ञ के समापन पर विहंगम योग के वर्तमान सद्गुरु, आचार्य श्री स्वतंत्र देव जी महाराज ने लाखों श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि भक्ति आत्मोद्धार का सर्वोत्तम साधन है। परंतु वर्तमान में भक्ति अज्ञान और आडंबर से ग्रसित है। उन्होंने चेतन भक्ति को अपनाने पर बल देते हुए कहा, “विहंगम योग ही विशुद्ध चेतन भक्ति का मार्ग है।”
आचार्य जी ने कमल के पत्ते का उदाहरण देते हुए कहा, “जैसे जल में रहकर भी वह उससे अछूता रहता है, उसी प्रकार विहंगम योगी संसार में रहते हुए भी संसार से निर्लिप्त रहता है।”

संत विज्ञान देव जी का मार्गदर्शन

संत प्रवर श्री विज्ञान देव जी महाराज ने कहा कि मनुष्य का अज्ञान ही उसके दुखों का मुख्य कारण है। उन्होंने साधकों को अध्यात्म का आलोक अपनाने का संदेश देते हुए कहा, “अध्यात्म के माध्यम से ही आत्मिक और मानसिक शांति प्राप्त की जा सकती है।”
उन्होंने विहंगम योग ध्यान की महिमा का उल्लेख करते हुए बताया कि यह साधना मानव को मानवीय गुणों से मंडित कर दिव्य स्वभाव वाला बनाती है।

लाखों भक्तों ने लिया सेवा और साधना का संकल्प

कार्यक्रम के दौरान श्रद्धालुओं ने सद्गुरु के समक्ष सेवा, सत्संग और साधना का संकल्प लिया। साथ ही, विहंगम योग के प्रमुख ग्रंथ स्वर्वेद को जन-जन तक पहुंचाने का निश्चय किया। भक्तों ने स्वर्वेद महामंदिर के समीप सद्गुरु सदाफल देव जी महाराज की 135 फीट ऊँची प्रतिमा के निर्माण का भी संकल्प लिया।
पूरे परिसर में गूंजते उद्घोष, जैसे:
“हम सबका संकल्प महान, स्वर्वेद महामंदिर निर्माण!”
“विहंगम योगी करे पुकार, अध्यात्म मूर्ति हो तैयार!”
श्रद्धालुओं के उत्साह और श्रद्धा को प्रकट कर रहे थे।

तीन दिवसीय आयोजन: सेवा, सत्संग और साधना की त्रिवेणी

इस महा आयोजन में देशभर से श्रद्धालु उमड़े। उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, बंगाल, राजस्थान, दिल्ली, गुजरात, झारखंड, असम आदि राज्यों के साथ-साथ विदेशों से भी भक्तों ने पहुंचकर स्वर्वेद महामंदिर का दर्शन किया। आयोजन के दौरान निःशुल्क योग, आयुर्वेद, पंचगव्य और होम्योपैथ जैसी चिकित्सा पद्धतियों के माध्यम से रोगियों को परामर्श व उपचार प्रदान किया गया।

स्वर्वेद महामंदिर: अध्यात्म का भव्य केंद्र

तीन दिनों तक सत्संग, सेवा और साधना के दिव्य प्रवाह से श्रद्धालुओं ने आत्मिक ऊर्जा का अनुभव किया। स्वर्वेद की अमृतमयी ज्ञान गंगा ने हर व्यक्ति को आत्म-कल्याण का मार्ग अपनाने की प्रेरणा दी। भक्तों ने सद्गुरु आचार्य श्री स्वतंत्र देव जी और संत विज्ञान देव जी महाराज के दर्शन कर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया।

आयोजन बना राष्ट्रीय चर्चा का केंद्र

स्वर्वेद ज्ञान महायज्ञ अपने दिव्यता और भव्यता के लिए पूरे देश में चर्चा का विषय बन गया। उमरहाँ और वाराणसी ही नहीं, बल्कि भारत के विभिन्न कोनों में इस कार्यक्रम की सराहना हुई। लाखों श्रद्धालुओं ने इस आयोजन में भाग लेकर आध्यात्मिक ऊर्जा का अनुभव किया।

कार्यक्रम का समापन वंदना, आरती और शांति पाठ के साथ हुआ। श्रद्धालु अपने गंतव्य स्थान को लौटते हुए संतुष्टि और आनंद का अनुभव कर रहे थे। यह आयोजन अध्यात्म और भक्ति का एक ऐसा महान पर्व था, जिसकी स्मृतियां लंबे समय तक जनमानस में बनी रहेंगी।

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